कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) एक नए मॉडल पर काम कर रहा है. ये मॉडल उन लोगों को वापस EPFO में शामिल करने की कोशिश है जिन्हें जॉब चले जाने या फॉर्मल से इनफॉर्मल सेक्टर में चले जाने के कारण EPFO छोड़ना पड़ा. इस नए मॉडल के तहत ₹500 प्रति माह के योगदान के साथ या 12% की मासिक आय के साथ EPFO से जुड़ा जा सकेगा.
इकोनॉमिक टाइम्स ने एक टॉप सरकारी अधिकारी के हवाले से अपनी एक रिपोर्ट में लिखा, ‘हम पेंशन (EPS), प्रोविडेंट फंड (EPF) और EPFO की कर्मचारी जमा से जुड़ी बीमा योजना पर इसके प्रभाव का आकलन करने की कोशिश कर रहे हैं. योजना का एक्चुअल एनालिसिस किया जा रहा है जिसके बाद योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा. EPFO का अनुमान है कि 2018-20 के दौरान लगभग 4.8 मिलियन लोग ऑर्गेनाइजेशन से बाहर हो गए, जिनका डेटाबेस EPFO के पास आसानी से उपलब्ध है. 2020 के कोविड-19 वर्ष में यह संख्या बहुत अधिक हो सकती है. यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो यह लाखों वर्कर्स के लिए एक बड़ी राहत हो सकती है.
सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 में EPFO के तहत नई योजनाओं को जोड़ने का प्रावधान है. इसलिए, इसे अगले वित्त वर्ष तक कोड के कार्यान्वयन के साथ शुरू किया जा सकता है. रिटायरमेंट फंड बॉडी के पास सभी बाहर निकलने वाले सदस्यों का यूनिवर्सल अकाउंट नंबर वाला डेटाबेस है जो आधार के साथ जुड़ा हुआ है. रिटायरमेंट फंड बॉडी इसका उपयोग कर सदस्यों को वापस लाना चाहती है.
रिटायरमेंट फंड बॉडी का ये कदम लोगों को रिटायरमेंट कॉर्पस बनाने में मदद करेगा, जो किसी भी अन्य जमा योजनाओं की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक दर पर निश्चित रिटर्न देता है. ये EPFO कॉर्पस और सब्सक्राइबर बेस को भी बढ़ाएगा. ईपीएफ योजना में एनरोल होने वाले व्यक्ति पेंशन, पीएफ और बीमा का लाभ उठा सकेंगे. इसके अलावा, वे वर्ष के दौरान ईपीएफओ के निवेश पर मिलने वाले रिटर्न के आधार पर रिटर्न की एक निश्चित दर के लिए पात्र होंगे. EPFO ने वित्त वर्ष 2021 में 8.5% ब्याज दिया है.