अंतरिक्ष की ऊंचाइयों तक इनोवेशन की उड़ान भरेंगी निजी कंपनियां

Private Companies in Space Sector: ISRO ने देश के विकास में बड़ी भूमिका निभाई है. प्राइवेट फर्मों के आने से इसकी भूमिका कहीं से कम नहीं होगी

entry of private players in space sector will help boost innovation and economy

इंडियन स्पेस एसोसिएशन के बनने से उन चुनौतियों को खत्म करने में मदद मिलेगी, जो अब तक स्पेस सेक्टर के विकास में बाधा डाल रही थीं

इंडियन स्पेस एसोसिएशन के बनने से उन चुनौतियों को खत्म करने में मदद मिलेगी, जो अब तक स्पेस सेक्टर के विकास में बाधा डाल रही थीं

भारतीय वैज्ञानिक हमेशा अपनी क्षमता से कहीं बेहतर परिणाम देते हैं. अगर इन्हें अधिक समर्थन मिलने लगे, तो सोचिए ये क्या कमाल कर दिखाएंगे. वर्षों से वैज्ञानिकों ने चुनौतियों को पार करते हुए देश का नाम रौशन किया है. पिछले साल सरकार द्वारा लिया गया स्पेस सेक्टर में निजी कंपनियों को जगह देने का फैसला इस ओर संकेत करता है कि इस क्षेत्र को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है. स्पेस तक कंपनियों की पहुंच बढ़ाने और उनके सहारे अर्थव्यवस्था का विकास करने का यह सही समय है.

ISRO ने देश के विकास में बड़ी भूमिका निभाई है. प्राइवेट फर्मों के आने से इसकी भूमिका कहीं से कम नहीं होगी. इंडियन स्पेस एसोसिएशन के बनने से उन चुनौतियों को खत्म करने में मदद मिलेगी, जो अब तक सेक्टर के विकास में बाधा डाल रही थीं.

2030 तक सैटेलाइट कम्युनिकेशन हब बनने की तैयारी

एक्सपर्ट्स का मानना है कि देश 2030 तक सैटेलाइट कम्युनिकेशन हब बन सकता है. एक मजबूत संगठन बनने से सरकार तक सेक्टर की परेशानियों को पहुंचाया जाएगा और समाधान निकल सकेगा.

सेक्टर में विकास की क्षमताएं हैं. आम आदमी के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के सरकार के लक्ष्यों को इसकी मदद से हासिल भी किया जा सकता है. एजुकेशन सिस्टम पर इसका असर होगा, खास तौर पर R&D प्रोजेक्ट्स के लिहाज से. इनोवेशन एक शब्द भर नहीं रह जाएगा. इसका हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पर असर दिखने लगेगा. मगर हमें याद रखना होगा कि ये सब एक दिन में नहीं होने वाला है.

स्पेस सेक्टर का होगा कौशल विकास

देश के अधिकतर स्पेस साइंटिस्ट सरकारी क्षेत्र में कार्यरत हैं. उम्मीद की जा रही है प्राइवेट कैपिटल और मैनेजेरियल स्किल की मदद से वैज्ञानिक नतीजों पर पहले से अधिक ध्यान केंद्रित करते हुए आगे बढ़ सकेंगे. साथ ही दुनियाभर के स्पेस टेक मार्केट को भी भुनाया जा सकेगा.

ISRO से सीखा जा सकता है कि सैटेलाइट कैरेज मार्केट में महारत कैसे हासिल की जाती है. स्पेस टेक्नॉलजी में प्राइवेट सेक्टर की हिस्सेदारी बढ़ने से सबको बराबरी का मौका दिया जा सकेगा. स्पेस और उससे जुड़े क्षेत्रों का कौशल विकास भी होगा.

Published - October 12, 2021, 06:24 IST