भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) मैन्युफैक्चरर्स ने पिछले एक साल में 9,000 करोड़ रुपये का निवेश कमिट किया है. बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तेजी से बढ़ रहे इलेक्ट्रिक व्हीकल मार्केट में अवसरों को देखते हुए ऐसा किया गया है. इसमें कंपोनेंट सप्लायर्स और बैटरी मैन्युफैक्चरर्स का निवेश शामिल नहीं है.
काउंसिल फॉर एनर्जी, एनवायर्नमेंट एंड वॉटर (CEEW) के सेंटर फॉर एनर्जी फाइनेंस (CEF) की इंडिपेंडेंट स्टडी का अनुमान है कि भारत में EV बाजार 2030 तक 206 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा. बशर्ते, भारत अपने महत्वाकांक्षी 2030 लक्ष्य को पूरा करने के लिए स्थिर प्रगति (steady progress) बनाए रखे. इसके लिए व्हीकल प्रोडक्शन और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में 180 बिलियन डॉलर से अधिक के संचयी निवेश (cumulative investment) की आवश्यकता होगी.
आश्चर्य की बात नहीं है कि इनमें से अधिकतम निवेश इलेक्ट्रिक दो पहिया, तीन पहिया और लाइट व्हीकल के लिए कैपेसिटी क्रिएट करने में चला गया है. बढ़ती मांग ने इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनियों के विश्वास को भी बढ़ाया है. चालू वर्ष के पहले पांच महीनों में हीरो इलेक्ट्रिक, ओकिनावा ऑटोटेक, एथर एनर्जी, एम्पीयर व्हीकल्स, बजाज ऑटो, TVS मोटर सहित अधिकांश इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के निर्माताओं ने मांग में तेज वृद्धि देखी है.
डिमांड और प्रोजेक्शन से उत्साहित होकर EV मैन्युफैक्चरर्स क्षमता बढ़ा रहे हैं. एम्पीयर ब्रांड के तहत इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स और थ्रीव्हीलर्स बेचने वाले ग्रीव्स कॉटन के मैनेजिंग डायरेक्टर और ग्रुप चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर नागेश बसावानहल्ली ने कहा कि उनकी फर्म ने करीब एक लाख इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स और थ्री-व्हीलर्स बेचे हैं. कंपनी तमिलनाडु के रानीपेट में क्षमता का विस्तार कर रही है. बसावानहल्ली ने कहा, ‘इस वित्तीय वर्ष के अंत तक उनकी 10 लाख यूनिटों को रोल आउट करने की क्षमता हो जाएगी’. उन्होंने कहा कि डिमांड ने सप्लाई को पीछे छोड़ दिया है.
ओकिनावा ऑटोटेक के एमडी और संस्थापक जीतेंद्र शर्मा ने भी कहा, ‘कंपनी, बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए क्षमता का विस्तार कर रही है.’ उन्होंने कहा कि कंपनी अलवर फैक्ट्री में एक ही शिफ्ट में 90,000 यू्निट्स का प्रोडक्शन करती है, जिसे एडिशनल शिफ्ट के साथ दोगुना किया जा सकता है.
ओकिनावा भिवाड़ी में भी एक बड़ी फैक्ट्री में 250 करोड़ रुपए का निवेश कर रही है. यहां प्रति वर्ष 10 लाख यूनिट को रोल आउट करने की क्षमता होगी. शर्मा ने कहा, ‘हम बढ़ती ईंधन कीमतों के कारण बिक्री में बढ़ोतरी देख रहे हैं. कई राज्य सरकारों की नीतियों ने भी ग्राहकों को इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का विकल्प चुनने के लिए प्रेरित किया है. हमारी मंथली सेल्स अब औसतन 5,000 यूनिट से अधिक है.’
भारत में बीते दो दशकों से इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनियां अपने पैर जमाने का प्रयास कर रही हैं. लेकिन लोगों के इसे पूरी तरह से नहीं अपनाने की वजह से इसमें काफी कम निवेश आया था. हालांकि, अब केंद्र और राज्य सरकारों के ठोस और नीतिगत प्रयासों के बाद इलेक्ट्रिक व्हीकल के बाजार में तेजी देखने को मिल रही है, जिसने निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित किया है.
बाजार में नए लॉन्च की झड़ी लग गई है. हालांकि, हाई प्राइज बैरिएर, चार्जिंग इन्फ्रा इश्यू और दूसरे फैक्टर्स के कारण इलेक्ट्रिक कारें आम खरीदार की पहुंच से अभी भी बाहर हैं. निकट भविष्य में भी इसका ऐसे ही बने रहने की संभावना है. काफी समय तक भारत में EV का भाग्य इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों पर टिका रहेगा.
सोसाइटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (SMEV) के प्रेसिडेंट सोहिंदर गिल ने कहा कि मैन्युफैक्चरर्स ने EV प्लान्स के लिए कुल 3,612 करोड़ रुपये जुटाए हैं. इसमें ओला इलेक्ट्रिक ने 2,132 करोड़ रुपये, एथर एनर्जी ने 701 करोड़ रुपये, हीरो इलेक्ट्रिक ने 380 करोड़ रुपये जुटाए हैं. रिवोल्ट मोटर्स, प्योर EV और एम्पीयर व्हीकल्स भी रकम जुटाने वालों में शामिल हैं.
इलेक्ट्रिक व्हीलक इवोल्यूशन ने निवेश के लिए राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को जन्म दिया है. तमिलनाडु और कर्नाटक पसंदीदा इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन बन रहे हैं. अनुमानों के आधार पर, तमिलनाडु में पूरे EV स्पेस में 15,000 करोड़ रुपये और 20,000 करोड़ रुपये के बीच का इन्वेस्टमेंट देखने को मिल सकता है. इसमें मूल उपकरण निर्माता (original equipment manufacturers) और बैटरी निर्माता (battery makers) शामिल हैं. राज्य में अगले दो वर्षों में EV सेगमेंट में निवेश दोगुना होकर 40,000 करोड़ रुपये होने की संभावना है.
EV की दौड़ में कर्नाटक भी पीछे नहीं है. राज्य ने पिछले साल इस क्षेत्र में 23,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की थी. एलेस्ट (Elest) ने इसमें से 20,000 करोड़ रुपये के निवेश का वादा किया था. 14,255 करोड़ रुपये मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के लिए और ₹6,339 करोड़ लिथियम आयन सेल और बैटरी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के लिए.