ED: सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों में विदेशी निवेश की जांच तेजी से कर रही है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने फ्लिपकार्ट और उसके संस्थापकों से स्पष्ट करने को कहा था कि क्यों न उन पर विदेशी मुद्रा नियमों का उल्लंघन करने पर 1.35 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया जाए. इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कंपनी के संस्थापक बिन्नी और सचिन बंसल और एक्सेल पार्टनर्स, टाइगर ग्लोबल, डब्ल्यूएस रिटेल, फ्लिपकार्ट ऑनलाइन, फ्लिपकार्ट प्राइवेट लिमिटेड जैसे निवेशकों को कारण बताओ नोटिस भेजा था. ईडी ने नोटिस का जवाब देने के लिए 90 दिन का समय दिया है.
फ्लिपकार्ट और अमेज़न इंडिया 2020 की शुरुआत से ही प्रवर्तन एजेंसियों और नियामक निकायों (regulating bodies) का सामना कर रही हैं.
ये कंपनियां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के उल्लंघन से लेकर अविश्वास कानून से संबंधित मामलों तक के मुद्दों पर सरकार के निशाने पर रही हैं.
फ्लिपकार्ट का स्वामित्व अमेरिकी रिटेल दिग्गज वॉलमार्ट इंक के पास है, जिसकी कंपनी में 77 फीसद की हिस्सेदारी है.
प्रवर्तन निदेशालय ने विदेशी फर्मों को मल्टी-ब्रांड रिटेल से प्रतिबंधित करने वाले एफडीआई नियमों के कथित उल्लंघन के लिए अमेज़ॅन इंडिया और फ्लिपकार्ट पर जांच के दायरे में लिया है.
ईडी ने 2012 में फ्लिपकार्ट की जांच शुरू की और दो साल बाद 2014 में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (Foreign Exchange Management Act) के उल्लंघन से संबंधित सबूतों का खुलासा किया.
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय से इनपुट मिलने के बाद ईडी ने अमेज़ॅन इंडिया के खिलाफ जांच शुरू की थी. मंत्रालय ने कुछ बहु-ब्रांड व्यवसाय (multi-brand business) संचालन से संबंधित मामलों पर ई-कॉमर्स फर्मों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की मांग की थी.
टैक्स चोरी के आरोप में जनवरी में आयकर विभाग के अधिकारियों द्वारा फ्लिपकार्ट और ऑनलाइन खाद्य वितरण कंपनी स्विगी के बेंगलुरु कार्यालयों में कर सर्वेक्षण (tax surveys) किए गए थे.
फ्लिपकार्ट-अमेजन और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के बीच लड़ाई सबसे बड़ी बनी हुई है. 2020 में, CCI ने प्रतिस्पर्धा कानून की धारा 3 के कथित उल्लंघन के लिए ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ जांच का निर्देश दिया था.
दोनों ई-कॉमर्स कंपनियों ने तर्क दिया कि सीसीआई जांच शुरू करने का आदेश देने से पहले जांच की प्रारंभिक आवश्यकताओं का पालन करने में विफल रही है.