कोरोना के कारण महिला रोजगार में गिरावट, बड़ी संख्या में महिलाएं हुईं बाहर

फरवरी 2021 में शहरी महिला रोजगार महज 5.4 फीसदी था. महामारी के दौरान महिलाओं को ज्यादा परेशानी हुई है.

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REPRESENTED IMAGE: महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक अभी भी पेरोल एडिशन में सबसे आगे हैं और महीने के दौरान लगभग 7.78 लाख सब्सक्राइबर जुड़े हैं. यह सभी ऐज ग्रुप में टोटल नेट पेरोल एडिशन का लगभग 60.61 प्रतिशत है.

REPRESENTED IMAGE: महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक अभी भी पेरोल एडिशन में सबसे आगे हैं और महीने के दौरान लगभग 7.78 लाख सब्सक्राइबर जुड़े हैं. यह सभी ऐज ग्रुप में टोटल नेट पेरोल एडिशन का लगभग 60.61 प्रतिशत है.

इस साल के नामांकन (enrolment) डेटा के मुताबिक पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए नए नामांकन में पिछले साल की तुलना में 23 फीसद की गिरावट आई है. पुरुषों की तुलना में ज्यादा महिलाएं औपचारिक रोजगार से बाहर हो गईं हैं. 840,523 बाहर होने वाले लोगों में से से दो तिहाई सिर्फ महिलाएं थीं. महामारी के दौरान आधे मिलियन से ज्यादा महिलाओं ने औपचारिक रोजगार छोड़ दिया, जो पुरुषों की संख्या से लगभग दोगुना है.

ईपीएफ डेटा, नामांकन और बाहर हुए लोगों को छह आयु वर्गों (18, 18-21, 22-25, 26-28, 29-35 और 35 से ऊपर) में वर्गीकृत करता है. इस कैटेगरी में 35 साल से अधिक उम्र के सेवानिवृत्त हुए लोग भी शामिल हैं. सेवानिवृत्त लोगों को हटा देने पर पता चलता है कि 2020-21 में नौकरी गंवाने वाली 546,936 महिलाओं में से 349,319 महिलाएं 35 साल से कम उम्र की थीं. महिलाओं के अनुपात में केवल एक तिहाई पुरुष ही औपचारिक रोजगार से बाहर हुए हैं.

महिलाओं के रोजगार में भारी गिरावट

आंकड़ों से पता चलता है कि महामारी से पहले भी महिलाओं के बीच नए नामांकन में गिरावट आई थी. ईपीएफ के आंकड़े बताते हैं कि 2019-20 में नए नामांकन में 14 फीसदी की गिरावट आई थी. लेकिन 2019-20 में औपचारिक रोजगार से बाहर हुए लोगों की संख्या में भी कमी आई थी.

यह डेटा शहरी महिला रोजगार पर सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों को दर्शाती है. सीएमआईई डेटा से पता चलता है कि 2018 के बाद से रोजगार में गिरावट आ रही है. फरवरी 2018 में शहरी महिला रोजगार 8.8 प्रतिशत था, मार्च 2020 तक यह घटकर 7.5 प्रतिशत हो गया है. फरवरी 2021 में शहरी महिला रोजगार महज 5.4 फीसदी था. महामारी के दौरान महिलाओं को ज्यादा परेशानी हुई है.

महामारी से जीडीपी प्रभावित हुई

सांख्यिकी और योजना मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation) द्वारा जारी प्रारंभिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने 2020-21 में 7.3 प्रतिशत का अनुबंध किया था. जबकि जीडीपी के आंकड़ों से यह संकेत मिलता है कि कोविड -19 और लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था को किस हद तक प्रभावित किया है.

कोविड -19 ने अमीर-गरीब विभाजन को बढ़ा दिया है. ऑक्सफैम की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय अरबपतियों ने पिछले साल लॉकडाउन के दौरान अपनी संपत्ति में 35 फीसद की वृद्धि की. अरबपतियों की संपत्ति में बढ़ोतरी तो हुई लेकिन इस बढ़ोतरी ने महिला सशक्तिकरण के मामले में देश को पीछे कर दिया है.

Published - July 30, 2021, 07:00 IST