एक दशक में कॉरपोरेट्स के लिए ये साल बना यादगार, ये है वजह

Corporates: रेटिंग एजेंसियों का सर्वसम्मति से मानना है कि भारतीय उद्योग जगत की क्रेडिट गुणवत्ता पर बढ़ते दबाव काफी हद तक कम हो गए हैं.

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source: pixabay, इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने इस वित्तीय वर्ष की पहली छमाही के दौरान 150 इश्युअर्स (issuers) की रेटिंग को अपग्रेड किया.

source: pixabay, इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने इस वित्तीय वर्ष की पहली छमाही के दौरान 150 इश्युअर्स (issuers) की रेटिंग को अपग्रेड किया.

Corporates: भारतीय कॉरपोरेट्स के लिए ये साल फाइनेंशियल स्ट्रेंथ (financial strength) के मामले में बेहद शानदार बीत रहा है. कॉरपोरेट्स के लिए ये एक दशक का सबसे अच्छा साल है. इसने कैपिटल एक्सपेंडिचर (capital expenditure) के रिवाइवल (Revival) की संभावना को बढ़ा दिया है. रिकॉर्ड कम ब्याज दरों और बेहतर क्रेडिट रेटिंग को देखते हुए, उच्च उत्पाद कीमतों (higher product prices) के साथ मिलकर फंड की कॉस्ट नई परियोजनाओं को व्यवहार्य (new projects viable) बना सकती है. फंड की कॉस्ट का मतलब है कि फाइनेंसियल इंस्टीट्यूशन्स की ओर से अपने बिजनेस के लिए उपयोग किए फंड पर किया गया ब्याज का भुगतान है.

क्या होता है कैपिटल एक्सपेंडिचर?

कैपिटल एक्सपेंडिचर (CapEx) एक कंपनी की ओर से प्रॉपर्टी, पौधों, इमारतों, टेक्नोलॉजी, या उपकरण जैसी फिजिकल प्रॉपर्टी के अधिग्रहण, उन्नयन और रखरखाव के लिए उपयोग किए जाने वाला धन है.

CapEx का उपयोग अक्सर किसी कंपनी की ओर से नई परियोजनाएं (New project) या निवेश (Investment) करने के लिए किया जाता है.

अचल संपत्तियों (fixed assets) पर पूंजीगत व्यय (capital expenditures) करने में छत की मरम्मत, या एक नया कारखाना बनाना शामिल हो सकता है.

इस प्रकार का फाइनेंशियल आउटले कंपनियों की ओर से अपने ऑपरेशन के दायरे को बढ़ाने या ऑपरेशन में कुछ आर्थिक लाभ जोड़ने के लिए किया जाता है.

क्या कहा रेटिंग एजेंसियों ने?

रेटिंग एजेंसियों का सर्वसम्मति से मानना है कि भारतीय उद्योग जगत (India Inc) की क्रेडिट गुणवत्ता (credit quality) पर बढ़ते दबाव काफी हद तक कम हो गए हैं.

इकोनॉमिक टाइम्स ने इंडिया रेटिंग्स के डायरेक्टर अरविंद राव के हवाले से कहा, ‘पिछली तीन से चार तिमाहियों में रिकवरी (Recovery) की गति उल्लेखनीय रही है.’

उन्होंने कहा, ‘विनिर्माण (manufacturing) और सर्विस कॉरपोरेट्स (service corporates) के लिए, क्रेडिट प्रोफाइल में सुधार डीलेवरेजिंग (Deleveraging) से हुआ है.’ डीलेवरेजिंग का मतलब है कर्ज में कमी.

क्रिसिल रेटिंग्स ने 488 कॉरपोरेट्स को अपग्रेड किया

इस वित्तीय वर्ष (Fiscal) की पहली छमाही (first half) में क्रिसिल रेटिंग्स (Crisil Ratings) ने 488 कॉरपोरेट्स (corporates) को अपग्रेड किया और 165 फर्मों (firms) को डाउनग्रेड किया.

यह पिछले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में 294 अपग्रेड और 221 डाउनग्रेड की तुलना में है. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने इस वित्तीय वर्ष की पहली छमाही के दौरान 150 इश्युअर्स (issuers) की रेटिंग को अपग्रेड किया.

वहीं इस अवधि में केवल 49 इश्युअर्स की रेटिंग को डाउनग्रेड किया गया.

डीलेवरेजिंग के ट्रेंड जारी

इंडिया इंक ने पिछले वित्त वर्ष में लगातार छठे वर्ष भी नकदी प्रवाह की रुकावटों (cash-flow disruptions) और महामारी के कारण होने वाली आपातकालीन फंडिंग आवश्यकताओं (emergency funding requirements) के बावजूद डीलेवरेजिंग के ट्रेंड को जारी रखा.

क्रिसिल रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘इक्विटी बाजारों में प्राइमरी इश्युएंस (primary issuances) के एक स्ट्रॉन्ग रन ने भी बैलेंस शीट को मजबूत करने में सपोर्ट किया.’ प्राइमरी इश्युएंस बिक्री के लिए कंपनी के स्टॉक की पहली रिलीज को संदर्भित करता है.

वित्तीय प्रोफाइल में सुधार से मिला कुशन

वित्तीय प्रोफाइल में सुधार संभावित तीसरी लहर के साथ-साथ रि-लेवरेजिंग सहित भविष्य के झटकों के लिए एक कुशन प्रदान करता है.

क्रिसिल के अनुसार, महामारी के चलते बड़े कॉरपोरेट्स ने अपने ऑपरेटिंग मॉडल को पुनर्व्यवस्थित किया है (reorienting their operating models).

उन्होंने लागत में कटौती की है (pruning costs), लीवरेज को नियंत्रण में रखा है (keeping leverage under control) और लिक्विडिटी को कंजर्व किया है (conserving liquidity). एक अन्य कारण वैक्सीनेशन की गति में तेजी है.

Published - October 4, 2021, 01:57 IST