Contract Farming: किसान अगर खेती में तकनीक को आजमाएं या फिर नए-नए तरीकों को आजमाएं तो वह ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. जी हां, आज के समय में बहुत से किसान ऐसा कर रहे हैं, जो खेती में कृषि जगत को नया आयाम तो दे ही रहे हैं, साथ-साथ उन्हें अधिक लाभ कमाने का मौका भी उपलब्ध करा रहे हैं. उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के किसान इस मामले में अधिक जागरूक हैं. यही वजह है कि वह एक कदम आगे भी हैं. बाराबंकी के ऐसे किसान जिन्होंने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को अपनाया है आज खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं.
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग दरअसल एक नया तरीका है, जिसके जरिए किसान सीधा खरीददार के साथ जुड़कर कॉन्ट्रैक्ट करता है और ज्यादा लाभ कमाता हैं. इसके लिए केंद्र सरकार किसानों को आधुनिक तरीके से खेती करने के लिए जागरूक भी कर रही है. आधुनिक खेती का ही नया आयाम है, ‘कॉन्ट्रैक्ट खेती’ या फिर कहें अनुबंध पर खेती.
-किसानों को लाभ के ज्यादा मौके मुहैया कराए जा रहे
-आधुनिक खेती का एक नया आयाम है अनुबंध पर खेती
-खरीददारों के साथ किसानों का सीधा कॉन्टैक्ट
-किसानों को लाभ के ज्यादा मौके
-कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए कृषि क्षेत्र में निजी निवेश की नई राह
यूपी की राजधानी लखनऊ से महज 20 किलोमीटर दूर बाराबंकी जिला अपनी उन्नत खेती के लिए मशहूर है. खेती के लिहाज से काफी समृद्ध माना जाने वाला बाराबंकी में किसानों को उनकी फसलों के उत्पादन के साथ-साथ उन्हें प्रोसेस करने और उनकी मार्केटिंग में भी मदद करने के लिए करीब दो दर्जन से अधिक कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) कार्य कर रहे हैं. ये संगठन हजारों गरीब किसानों को बीज उर्वरा कीटनाशक, कृषि यंत्र सही कीमत पर उपलब्ध करा रहे हैं और बिचौलियों व मंडी में कालाबाजारी से भी उन्हें मुक्त करा रहे हैं.
अभी तक किसानों को उनकी उपज का सही दाम नहीं मिल पाता था और मार्केटिंग में भी काफी दिक्कतें होती थी, लेकिन अब छोटे किसानों को मंडी ले जाने वाले भाड़े और उपज के कम दामों से भी निजात मिली है. किसान दिलीप यादव बताते हैं कि गांव में एक मीटिंग हुई थी, जिसमें बताया गया कि एक आसरा बायोटिक प्रोड्यूसर कंपनी है, वह किसानों की कंपनी है, जिसमें किसान स्वयं सदस्य बन सकते हैं. कंपनी ऐसे किसानों को खेती के बारे में नई तकनीक की जानकारी देती है.
इसी के माध्यम से किसानों को परंपरागत खेती से सब्जी खेती की और मोड़ा जाता है. दरअसल, ऐसा करने के पीछे कंपनी का मकसद यह होता है कि कैसे छोटे किसान को कम एरिया में भी सब्जी की खेती करवा कर ज्यादा लाभ कमाने का मौका दिलाया जा सकता है। वहीं इसमें किसानों को अपनी फसल बेचने की भी चिंता नहीं रहती क्योंकि इस प्रक्रिया में स्वयं कंपनी के लोग आते हैं और फसल खरीदकर ले जाते हैं. इसमें न तो किसी व्यापारी का झंझट रहता है और न ही फसल बिक्री का झंझट. ऐसे में किसानों को जब ज्यादा लाभ होता है तो किसान अपनी फसल बुआई का एरिया भी धीरे-धीरे बढ़ाता जाता है. इस प्रकार से छोटे किसानों का लाभ का विस्तार होता चला जाता है.
किसान इन्द्र राम ने बीते साल आसरा नामक एफपीओ कंपनी के साथ जुड़कर सब्जियों की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए तीन एकड़ जमीन पर खेती का अनुबंध किया था. इसके बाद उन्होंने अच्छा मुनाफा कमाया. आज इसके जरिए ही वे परिवार की देखभाल के साथ-साथ बचत भी कर पा रहे हैं.
कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग में कृषि विभाग द्वारा अधिकृत एफपीओ की बड़ी भूमिका होती है। इसमें कंपनियां किसान के साथ अनुबंध करती हैं कि किसान द्वारा उगाई गई फसल को कॉन्ट्रैक्टर एक तय दाम में खरीदेगा, जिसमें खाद, बीज से लेकर सिंचाई, मजदूरी तक सभी खर्च कॉन्ट्रेक्टर के होते हैं. कृषि कंपनियां ही किसानों को खेती के नए-नए तरीके बताती हैं. फसल की क्वालिटी, मात्रा और उसकी डिलीवरी का समय, फसल उगाने से पहले ही तय हो जाता है, जिससे कि किसानों को सीधा लाभ होता है.
किसान संतोष कुमार बताते हैं कि अनुबंध खेती में किसानों को अच्छा फायदा होने की उम्मीद है. मंडी में जो टैक्स हम लोगों को पड़ता था, वह बच रहा है. वहीं एक एफपीओ कंपनी से मेरा संबंध बना है. उन्हीं के प्रोत्साहन से आज मैंने अपना इरादा परिजात फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी रजिस्टर्ड कर ली है और अब उससे किसानों को जोड़कर आगे कार्य करूंगा.
(PBNS)