Consumption: उपभोक्ता वस्तुओं की मांग के मामले में छोटे शहरों और गांवों ने बड़े शहरों को पीछे छोड़ दिया है. दैनिक किराने के सामान से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों तक में वृद्धि देखी गई है. वित्त वर्ष 2021 की सितंबर समाप्त तिमाही के दौरान शहरी खपत (Consumption) 28% बढ़ी तो ग्रामीण खपत में 58% का विस्तार हुआ है, जो शहरी खपत की दर से दोगुना है. वहीं कुल बिक्री में 46% की वृद्धि हुई है. इन आकड़ों को देखा जाए तो बाजार में तेजी से सुधार हुआ है.
2020 में हुए लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों के घर लौटने और कृषि को बढ़ावा देने के कारण पिछले दो वर्षों में ग्रामीण बाजारों में तेजी से वृद्धि हुई, लेकिन इस साल गांवों में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान संक्रमण में वृद्धि देखी गई, जिसके कारण जून में शहरों ने गांवों को पीछे छोड़ दिया था.
महामारी के बाद मजबूत उपभोक्ता विस्तार और ऑनलाइन खरीदारी में तेजी से इस पूरे साल के दौरान ई-कॉमर्स कंपनियों की बिक्री में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई.
खरीफ और रबी फसल की अच्छी बुवाई और अच्छे मानसून के कारण ग्रामीण बाजार जुलाई-सितंबर तिमाही में लचीला रहा. कुल बिक्री में मूल्य के हिसाब से 46% की वृद्धि देखी गई.
भारत के सबसे बड़े बिस्कुट निर्माता पारले प्रोडक्ट्स के प्रमुख कृष्णराव बुद्ध कहते हैं कि अप्रैल और मई में ग्रामीण अव्यवस्थित थे क्योंकि वितरक और बिक्री कर्मचारी भी कोविड की चपेट में थे.
हालांकि हमने मांग में क्रमिक सुधार देखा है क्योंकि जुलाई जून की तुलना में सितंबर बेहतर है और चालू महीने में और भी बेहतर वृद्धि दर्ज की गई है.
जीएफके इंडिया ने कहा, जुलाई-अगस्त में 1 से 5 लाख के बीच की आबादी वाले छोटे शहरों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में 8% से अधिक की वृद्धि हुई, जबकि भारतीय स्तर पर 5% की वृद्धि हुई.
छोटे शहरों में लैपटॉप की बिक्री में वृद्धि 43 फीसदी रही. साथ ही स्मार्टफोन में 1% की गिरावट आई है. यहां तक कि छोटे शहरों में वाशिंग मशीन में 7% की वृद्धि हुई जबकि भारतीय 3% की वृद्धि हुई.
हायर इंडिया के अध्यक्ष एरिक ब्रागांज़ा ने कहा कि छोटे शहरों में कोविड और दूसरी लहर के लॉकडाउन का प्रभाव तेजी ठीक हो रहा है.