कोरोना (Corona) के बाद से महंगाई अपने चरम पर है. उत्पादों की बढ़ती कीमतों के चलते लोगों (Consumer) का बजट गड़बड़ाने लगा है और इसी के चलते अब लोगों ने ब्रांडेड चीजों को छोड़ सस्ते और गैर-ब्रांडेड उत्पादों का चयन शुरु कर दिया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार बाजार के जानकारों और कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि भारतीय उपभोक्ताओं ने गैर ब्रांडेड उत्पाद जैसे कम कीमत वाले पैक या भोजन, किराना और रोजमर्रा के सामानों सहित अन्य चीजों का चयन करना शुरू कर दिया है. चीजों की बढ़ती कीमतें इसका मुख्य कारण है.
जानकारों का कहना है कि बढ़ती महंगाई और कोविड19 के प्रभाव के बाद लोगों के घरों का खर्च गड़बड़ा गया है. शोध फर्म कंटार के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार है, सितंबर को समाप्त तिमाही के दौरान साबुन, दूध वाले खाद्य पेय, खाद्य तेल और घरेलू सफाई उत्पादों सहित लगभग आधा दर्जन ऐसी श्रेणियों में उपभोक्ताओं ने ज्यादातर बड़े पैमाने पर गैर-ब्रांडेड उत्पाद खरीदे. पिछले साल महामारी की शुरुआत के बाद से खपत की प्रवृत्ति बिल्कुल बदल गई है.
कंटार के अनुसार पहले उपभोक्ता बड़े राष्ट्रीय ब्रांडों का इस्तेमाल करते थे अब गैर-ब्रांडेड पैकेज्ड वाले चीजें खरीदने लग गए हैं. कई कंपनियों ने महंगाई के दबाव के कारण पिछले तीन महीनों में अपने उत्पादों की कीमतों में वृद्धि की है, और अगली तिमाही तक लगातार कीमतों में बढ़ोतरी का संकेत दिया है.
सालभर में पाम, क्रूड और चाय की कीमतों में 50% से अधिक की वृद्धि हुई है, जबकि पैकेजिंग सामग्री की कीमतों में पिछले वर्ष की तुलना में 30-35% की वृद्धि हुई है. स्कूल आने-जाने का खर्च, कार्यालयों का मेंटनेस, पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें, यात्री किराया और मनोरंजन के साधनों की कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई है. इन सब की बढ़ती कीमतों के कारण उपभोक्ता की जेब ढ़ीली होने लगी है. इसका कारण यह भी है कि लोग धीरे-धीरे कोविड से उबरकर पुरानी जीवन शैली में लौट रहे है.
कंटार के वर्ल्डपैनल डिवीजन, दक्षिण एशिया के प्रबंध निदेशक के रामकृष्णन ने कहा, कोरोना महामारी के कारण हुए लॉकडाउन के दौरान उपभोक्ता अधिक भरोसेमंद ब्रांडों को खरीदे थे, क्योंकि उस दौरान उनके पास और कोई विकल्प नहीं था. आईटीसी लिमिटेड के खाद्य व्यवसाय के मुख्य कार्यकारी हेमंत मलिक ने कहा कि 5 और 10 रुपये के कीमत वाले पैक की बिक्री में वृद्धि हुई है, खासकर स्नैक्स जैसे उत्पादों में. ऐसे में अब लोगों के पास महंगी ब्रांडेड वस्तुओं के अलावा अन्य विकल्प भी मौजूद है, इसीलिए उपभोक्ता इनकी ओर आकर्षित हो रहे हैं.