कंज्यूमर कॉन्फिडेंस में गिरावट, उपभोक्ता भविष्य को लेकर चिंतित

यह सर्वे दर्शाता है कि कोविड -19 की दूसरी लहर ने पहले लॉकडाउन और पहली लहर की तुलना में उपभोक्ता विश्वास को कहीं अधिक नुकसान पहुंचाया है.

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बिज़ोम की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि सभी श्रेणियों में 13% और 35% के बीच वृद्धि हुई, लेकिन होम केयर में 8% की गिरावट दर्ज की गई है

बिज़ोम की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि सभी श्रेणियों में 13% और 35% के बीच वृद्धि हुई, लेकिन होम केयर में 8% की गिरावट दर्ज की गई है

कोविड-19 के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी चोट पहुंची है. भारतीय रिजर्व बैंक के नवीनतम कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे (सीसीएस) के निष्कर्षों से पता चलता है कि कोविड -19 की दूसरी लहर और मुद्रास्फीति (inflationary) की वृद्धि के संयोजन ने अर्थव्यवस्था में कुल मांग (aggregate demand) को स्थायी नुकसान पहुंचाया है.

कोविड -19 संक्रमणों में हाल के दिनों में हुए सुधार के बावजूद, जुलाई में सीसीएस का वर्तमान स्थिति सूचकांक (current situation index) (सीएसआई) 48.6 पर था, जो मई 2021 के में 48.5 के निम्न स्तर के लगभग समान था. इसका मतलब है कि नौकरियों और इनकम के बारे में नकारात्मकता और बढ़ती कीमतों के बारे में चिंता बढ़ रही है.

क्या है नवीनतम कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे?

सीसीएस आर्थिक प्रदर्शन, विशेष रूप से निजी खपत (private consumption) का एक उपयोगी लीडिंग संकेतक है. सीसीएस ग्रामीण इकॉनमी की स्थिति को ट्रैक नहीं कर सकता है. नवीनतम कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे 28 जून से 9 जुलाई 2021 के बीच आयोजित किया गया था. यह सर्वे दर्शाता है कि कोविड -19 की दूसरी लहर ने पहले लॉकडाउन और पहली लहर की तुलना में उपभोक्ता विश्वास को कहीं अधिक नुकसान पहुंचाया है.

वर्तमान स्थिति सूचकांक (सीएसआई) अपने मार्च 2020 के मूल्य 85.6 से मई 2021 में 48.5 पर तेजी से गिर गया. आंकड़ों के मुताबिक जुलाई के पहले सप्ताह तक मामलों में उल्लेखनीय कमी के बावजूद यह ठीक नहीं हुआ, यह दर्शाता है कि दूसरी लहर से उपभोक्ता विश्वास को गंभीर चोट लगी है.

शुद्ध वर्तमान अवधारणा में गिरावट

सीसीएस में विभिन्न उप-सूचकांकों से दो बातें साफ तौर पर निकल कर सामने आती हैं पहला श्रमिकों के बारगेनिंग पॉवर में कमी, और दूसरी गैर-आवश्यक खर्चों पर दबाव डालने वाली आवश्यक वस्तुओं की उच्च कीमतें. रोजगार पर शुद्ध वर्तमान धारणा (net current perception falling) मई में -50.1 से गिरकर जुलाई में -59.1 हो गई.

जरूरी खर्च पर शुद्ध वर्तमान धारणा मई में 48.7 से बढ़कर जुलाई में 51.4 हो गई, जबकि गैर-आवश्यक व्यय सूचकांक मई में -51 से जुलाई में -56 तक गिर गई. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर हिमांशु ने कहा कि उपभोक्ता का विश्वास इस बात को रेखांकित नहीं करता है कि हम मांग को स्थायी नुकसान और अर्थव्यवस्था से संबंधित खतरों के बारे में क्या कह रहे हैं. अधिकांश अन्य उच्च आवृत्ति संकेतक (high frequency indicators) अपेक्षाकृत बेहतर तस्वीर पेश कर रहे हैं क्योंकि वे औपचारिक क्षेत्र की गतिविधि को तरजीह देते हैं.

Published - August 8, 2021, 11:24 IST