ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए उत्पादों पर बड़ी-बड़ी छूट की पेशकश करना, हमेशा से ही मार्केटिंग करने का एक जरिया होता आया है. कंपनियां और कारोबारी, इन दिनों भारी डिस्काउंट ऑफर कर रहे हैं. कोविड-19 के चलते अर्थव्यवस्था में सुस्ती है, और बिक्री बढ़ाना चुनौती है, ऐसे में पूरे देश में डिस्काउंट राज चल रहा है. कपड़े व जूतों से लेकर हवाई यात्रा तक, सभी में भारी छूट दी जा रही है. असल में कारोबारी किसी तरह अपने आपको बचाए रखने की जुगत में हैं. इसके अलावा, ग्राहक भी डिस्काउंट को लेकर काफी उत्साहित रहते हैं.
स्विगी ने अपने हालिया विज्ञापन में बताया कि ग्राहक लगातार डिस्काउंट की मांग कर रहे हैं और उनकी कंपनी अपने उत्पादों पर 60 फीसदी तक की छूट दे भी रही है. फूड कारोबारी जयंता बनर्जी का कहना है कि ज्यादातर ग्राहक डिस्काउंट ऑफर सुनकर खुश हो जाते हैं. जयंता के पास हयात रेजेंसी, हॉलिडे इन और द ललित इस्टर्न जैसे होटलों में काम करने का 26 सालों का अनुभव है. उनका कहना है, “ यदि कोई रेस्टोरेंट 200 रुपए में फिश फ्राई दे रहा और दूसरा रेस्टोरेंट 100 रुपए में ऑफर कर रहा है, तो ग्राहक दूसरे होटल चले जाएगें.”
दूसरी ओर, कोविड में काम आने वाली दवाओं, यंत्रों वगैरह पर किसी तरह का डिस्काउंट नहीं है. इसी तरह, इलेक्ट्रिसिटी और फ्यूल पर भी कोई छूट नहीं है. दिलचस्प है कि कई मॉल हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए डिस्काउंट की पेशकश कर रहे हैं. ग्रुरुग्राम के एम्बिएंस मॉल ने जून में कुछ ऐसा ही किया. ग्रुरुग्राम के साइबर सिटी मॉल ने वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने वालों को 50 फीसदी और सिंगल डोज वालों को 25 फीसदी तक की छूट का ऑफऱ दिया.
दिलचस्प है कि, बैंक भी डिस्काउंट ऑफर ला रहे हैं. जून के पहले हफ्ते में यूको बैंक ने वैक्सीन के सिंगल डोज लगवाने वाले ग्राहकों को 999 दिन डिपॉजिट पर 30 बेसिस प्वाइंट अतिरिक्त ब्याज का ऑफर दिया. इसी तरह, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने भी इम्यून इंडिया डिपॉजिट स्कीम लॉन्च किया है. जिसमें 25 बेसिस प्वाइंट का अतिरिक्त ब्याज दिया जा रहा है.
जून के आखिरी हफ्ते में एयरलाइन कंपनी इंडिगो ने भी वैक्सीन के सिंगल डोज लेने वालों को 10 फीसदी तक छूट दिया. ऐसे ही मैकडोनाल्ड्स भी 20 फीसदी तक छूट दे रही है.
साल 2010 में द टाइम में छपी खबर के मुताबिक, 134 साल पहले डिस्काउंट की शुरुआत हुई थी. जब अटलांटा के बिजनेसमैन ऐसा कैंडलर ने कोका-कोला की बिक्री बढ़ाने के लिए ऐसा किया था. 1894 से 1913 के बीच, नौ में से एक अमेरिकी फ्री कोका-कोला पी चुका था. 1895 तक अमेरिकी के प्रत्येक राज्य में कोका-कोला बिकने लगा. 90 के दशक में ऑनलाइन कूपन कोड के साथ डिस्काउंट देने का चलन शुरू हुआ.
आप, फ्लिपकार्ट, अमेजन, मायंत्रा जैसे किसी भी साइट देख लीजिए, वहां डिस्काउंट ऑफरों की बमबारी हो रही है. कोई ऐसा ब्रांड नहीं जो, किसी न किसी तरह का ऑफर न दे रहा हो. और ये ऑफर कपड़ों से लेकर कंज्यूमर उत्पाद जैसे एसी, फ्रिज, ब्लू टूथ, स्पीकर और स्किन व हेयरकेयर प्रोडक्ट तक फैले हैं.
इस बीच, कुछ ऐसे रीटेलर भी हैं, जो डिस्काउंट तो दे रहे लेकिन नजर नहीं आता. कोलकाता स्थित मैड चॉकलेट्स की मधुमिता उपाध्याय का कहना है, “ भले ही मैनें बीते दिनों डिस्काउंट ऑफर पेश नहीं किया. लेकिन इस बीच चॉकलेट बार, फल जैसे कच्चे माल की कीमतों में 10 से 12 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई, पर हमने अपने उत्पादों के दाम नहीं बढ़ाए. हम बहुत कम मार्जिन पर बिजनेस करते हैं.”
कुछ लोगों को मोलभाव करना और छूट मांगना उनका लोकतांत्रिक अधिकार लगता है. असल में इसके पीछे मनोविज्ञान काम करता है, जहां ग्राहक, छूट पाने के बाद खुद संतुष्ट समझता है. हर शहर ऐसे कुछ बाजार होते हैं, जहां लोग जमकर मोलभाव करते हैं. जैसे दिल्ली का जनपथ और चांदनी चौक, कोलकाता का गरिआहाट हातिबगान, मुंबई का चोर बाजार और फैशन स्ट्रीट वगैरह. हालांकि, हर कोई बहुत अच्छा बारगेनर नहीं होता, फिर भी मोलभाव करने से बीच का रास्ता निकल जाता है. मनोविज्ञान के मुताबिक, मोलभाव करना एक आदत भी बन जाती है. एक बार सफल होने के बाद, ग्राहक हमेशा मोलभाव करने लगता है.
हालांकि, डिस्काउंट देने से छोटी अवधि में बिक्री जरूर बढ़ती है, लेकिन यह फंसने वाली बात भी होती है. जब डिस्काउंट ऑफर को बंद कर दिया जाता है तो बिक्री गिर सकती है. अर्थव्यवस्था की सुस्ती के दौर में भी एपल जैसे मजबूत ब्रांड ने किसी तरह का डिस्काउंट नहीं दिया. एडवर्टाइजिंग पेशेवर डेविड मैकेंजी का कहना है कि छूट तो कोई भी दे सकता है लेकिन एक सच्चा और मजबूत ब्रांड तैयार करना बड़ी बात है. दिलच्सप है कि कुछ ऑनलाइन रीटेलर हैंड सैनेटाइजर पर भी छूट दे रहे हैं.