कोयले की कमी से उद्योग नगरी परेशान, आपूर्ति के लिए PMO भेजा SOS

Coal: सरकार द्वारा कोल इंडिया से आपूर्ति को आधा करने के बाद एल्यूमीनियम प्लांट में कोयले का स्टॉक महत्वपूर्ण हो गया. इसे केवल 10% तक सीमित कर दिया है.

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एल्यूमीनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने पीएमओ को अपने एसओएस में बताया कि कोयला महत्वपूर्ण था क्योंकि कैप्टिव पावर का कोई विकल्प नहीं था.

एल्यूमीनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने पीएमओ को अपने एसओएस में बताया कि कोयला महत्वपूर्ण था क्योंकि कैप्टिव पावर का कोई विकल्प नहीं था.

Coal: एल्यूमीनियम निर्माताओं ने बुधवार को कोयले की आपूर्ति फिर से शुरू करने के लिए पीएमओ (प्रधान मंत्री कार्यालय) को एक SOS भेजा, जिसमें कहा गया कि कोयले (Coal) की कमी ने उद्योग को नुकसान के कगार पर धकेल दिया है, जो एक समय में डाउनस्ट्रीम क्षेत्र में लगभग 5,000 एमएसएमई (मध्यम और लघु उद्यमों) पर बुरा प्रभाव डाल सकता है. कोरोना महामारी की दूसरी लहर से लगभग दस लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं लाखों लोगों की नौकरियां चली गई हैं.

अगस्त में सरकार द्वारा कोल इंडिया से आपूर्ति को आधा करने के बाद एल्यूमीनियम प्लांट में कोयले का स्टॉक महत्वपूर्ण हो गया और इसे केवल 10% तक सीमित कर दिया गया है.

एल्यूमीनियम उत्पादन को सार्वजनिक उपयोगिता सेवा घोषित करने के बाद भी कोयले की आपूर्ति में कटौती की गई. इसकी कमी अब 20 अरब डॉलर के निवेश को जोखिम में डाल रही है.

एल्यूमीनियम उत्पादन के लिए कितनी ऊर्जा जरूरी?

द टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार एल्यूमीनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने पीएमओ को अपने एसओएस में बताया कि कोयला महत्वपूर्ण था क्योंकि कैप्टिव पावर का कोई विकल्प नहीं था.

एल्यूमीनियम उत्पादन एक सतत प्रक्रिया है जिसमें 15 गुना अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है. एल्युमीनियम के उत्पादन के लिए में सीमेंट से 145 गुना ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता होती है.

एसोसिएशन ने कहा, दो घंटे से अधिक की बिजली जाने के परिणामस्वरूप (कम से कम उतना नुकसान होगा जितना छह महीने के लिए प्लांट बंद होने जितना) भारी नुकसान होगा, खर्च फिर से शुरू होगा और लंबे समय तक धातु की अशुद्धता होगी.

अन्य स्रोतों से इतनी अधिक मात्रा में बिजली प्राप्त करना संभव नहीं 

उद्योग ने 9.4 गीगावॉट सीपीपी लगाने किए 50 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया जो देश की कुल मांद का 6 फीसदी और भारतीय ऊर्जा एक्सचेंज पर कारोबार की कुल ऊर्जा का 123 फीसजी है, इसलिए, तकनीकी रूप से राष्ट्रीय ग्रिड या किसी अन्य वैकल्पिक स्रोत से इतनी बड़ी बिजली प्राप्त करना संभव नहीं है.

एसोसिएशन के मुताबिक एक टन एल्यूमीनियम उत्पादन और एक टन स्टील बनाने के लिए 1,000 यूनिट और सीमेंट के लिए लगभग 100 यूनिट के मुकाबले 14,500 यूनिट निरंतर बिजली की आवश्यकता होती है.

Published - October 28, 2021, 05:40 IST