जरा सी बारिश और जलभरावः कब मिलेगी आम लोगों को इससे निजात?

Monsoon Civic Woes: मिंटो रोड पर भरने वाला पानी हर साल इस बात को याद दिलाता है कि देश की राजधानी का ही इंफ्रास्ट्रक्चर कितनी बदतर हालत में है

work from home promotes merit based hiring over location preference in corporate india

बड़ी कंपनियां अक्सर बड़े शहरों में होने के कारण रिक्रूटमेंट इन्हीं शहरों तक सीमित रह जाता है. यहां के कैंडिडेट्स को इसका लाभ मिलता है

बड़ी कंपनियां अक्सर बड़े शहरों में होने के कारण रिक्रूटमेंट इन्हीं शहरों तक सीमित रह जाता है. यहां के कैंडिडेट्स को इसका लाभ मिलता है

बारिश का मौसम जहां मन को सुकून देने के लिए जाना जाता है, वहीं भारत में इसका एक मतलब जिंदगी का ठहर जाना भी होता है. गड्ढों वाली सड़कों पर हम आम दिनों में तो इधर-उधर होकर रास्ते निकाल लेते हैं. मगर मॉनसून सीजन में यही गड्ढे कइयों को मौत के घाट उतार देते हैं.

चिंता की बात यह है कि बुरी सड़कों और खराब व्यवस्था की आदी हो चुकी जनता को तब तक फर्क नहीं पड़ता, जब तक पानी उनके खुद के घर में न घुसे या किसी प्रियजन को नुकसान न पहुंच जाए. दिल्ली में 21 अगस्त को 139 मिलीमीटर से अधिक की बारिश हुई थी. नतीजन, लोगों को जल भराव और उसके कारण लगे जाम से जूंझना पड़ा.

मिंटो रोड पर भरने वाला पानी हर साल इस बात को याद दिलाता है कि देश की राजधानी का ही इंफ्रास्ट्रक्चर कितनी बदतर हालत में है. मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे मेट्रो शहरों में भी कहानी कुछ अलग नहीं. मुंबईवासी तो बरसों से दुरव्यवस्था और उसपर मॉनसून की आक्रामक धार की कीमत चुकाते आ रहे हैं. यहां तक कि उन्होंने इसे जिंदगी का हिस्सा मान लिया है.

समय आ चुका है कि मेट्रो शहरों के सिविक अधिकारी अपना दायित्व निभाने के लिए आगे आएं और आम आदमी की समस्याओं का निवारण करें. भारी बारिश होते ही रेसिडेंशिल और मार्केट एरिया में घिचपिच मच जाती है. सड़कों का हाल बेहाल हो जाता है.

प्राधिकरण नागरिकों को टैक्स नहीं भरने पर लगातार रिमाइंडर भेज सकते हैं, मगर इसी दृढ़ता से प्रबंधन दुरुस्त नहीं कर पाते. भारत भले आर्थिक लिहाज से अन्य देशों के बीच अपना रुतबा बढ़ाने में सफल हो रहा है, मगर नागरिकों के लिए व्यवस्थाएं सुधारने में हमें अभी भी बहुत लंबा रास्ता तय करना बाकी है.

Published - August 23, 2021, 06:23 IST