चीनी सरकार डेटा सुरक्षा और IPO से संबंधित कई टेक कंपनियों पर प्रतिबंध लगा रही है. इन प्रतिबंधों को देखते हुए बाहरी कंपनियां चीन में इन्वेस्ट करने को लेकर काफी सतर्फ हो गई हैं. यह भारतीय स्टार्टअप और घरेलू निजी इक्विटी (पीई) फंडों के लिए अच्छी खबर है. यदि आप भारतीय स्टार्टअप से पूछें तो इसका जवाब आपको हां में मिलेगा. लेकिन अब चीन में निवेश को लेकर सतर्कता साफ नजर आने लगी है, बड़े स्तर पर भारत और चीन के बीच पीई निवेश में अंतर दिखने लगा है.
कुछ हफ्ते पहले अपने 100 हजार करोड़ रुपये के क्षेत्र पर कार्रवाई करते हुए, चीनी सरकार ने फैसला किया था कि निजी ट्यूशन और ऑनलाइन शिक्षा की पेशकश करने वाली कंपनियां सार्वजनिक नहीं हो सकती हैं, वह विदेशी पूंजी नहीं जुटा सकती हैं. यदि वे ऑनलाइन स्कूल सिलेबस प्रदान करती हैं तो मुनाफा कमा सकती हैं. इस फैसले से टाइगर ग्लोबल और टेमासेक जैसे फंडों का निवेश मुश्किल में पड़ सकता है, क्योंकि इनका इस क्षेत्र में बड़ा एक्सपोजर है. इसलिए ये कंपनियां अब भारत में अपने एडटेक बिजनेस को बढ़ाने पर विचार कर रही हैं. भारतीय एडटेक स्टार्टअप को इसका सबसे ज्यादा फायदा होने की उम्मीद है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक जापानी दिग्गज कंपनी सॉफ्ट बैंक को इस साल मार्च तक अपने निवेश के मूल्य का 44 फीसदी चीनी टेक कंपनियों से प्राप्त है. इसलिए उसने कुछ समय के लिए चीन में नए निवेश को रोकने का फैसला किया है. इसका न केवल एडटेक कंपनियों में बल्कि अलीबाबा, बाइटडांस और कार-सेलिंग कंपनी दीदी (Didi) में भी एक्सपोजर है. ये तीनों ग्लोबल इन्वेस्टर कंपनियां अब भारत में अपने निवेश को आगे बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं. अगस्त के पहले सप्ताह में, तीनों एडटेक फर्म अनअकेडमी (Unacademy) में 440 लाख करोड़ रुपये के निवेश के लिए तैयार हैं. एरुडिटस (Eruditus) के सह-संस्थापक अश्विन दमेरा ने बताया कि चाइना में इन्वेस्ट को लेकर ग्लोबल कंपनियों अब सतर्क हो गई हैं. यह हमारे लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है.
चीन के विकास के संभावित लाभों के बारे में बताते हुए भारतीय मार्केट एक्सपर्ट रोनी स्क्रूवाला ने कहा कि अब दुनिया में दो वास्तविक पैमाने के बाजार हैं अमेरिकी कंपनियों को एशियाई बाजार में डिलीवरी के लिए भारतीय कंपनियों की जरूरत है. वहीं इससे ज्यादा भारतीय कंपनियों को अपने घरेलू बाजार में डिलीवरी के लिए अमेरिकी कंपनियों की जरूरत है. इसलिए भारत से दो या तीन शीर्ष वैश्विक एडटेक कंपनियों के आने की गुंजाइश है. उदाहरण के लिए बायजू (BYJU’S) जिसमें टाइगर ग्लोबल ने इस साल जुलाई में 340 मिलियन डॉलर का फंड निवेश किया है. इस इन्वेस्टमेंट के बाद बायजूस का व्यापार 16.5 बिलियन डॉलर हो गया है.