कोरोना महामारी से जूझने के बाद अब जनता महंगाई की मार से बेहद परेशान है. पहले पेट्रोल-डीजल की कीमतों (Fuel Costs) में बढ़ोतरी हुई फिर खाद्य तेलों की बढ़ी हुई कीमतों ने किचन का बजट बिगाड़ा, अब लोगों के लिए मकान बनाना भी महंगा साबित हो रहा है. पिछले कुछ महीनों से सीमेंट की बढ़ी हुई कीमतें कंपनियों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है. क्योंकि इससे कंपनी का मुनाफा प्रभावित हुआ है.
इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार विश्लेषकों का अनुमान है कि कंपनियां वित्तवर्ष की तीसरी तिमाही में सीमेंट की कीमतों में बढ़ोतरी कर सकती हैं. सीमेंट कंपनियां हाल के महीनों में ईंधन की बढ़ी हुई कीमतों का सामना कर रही हैं. सीमेंट कंपनियों के कुल खर्च का 15-35% पैसा ईंधन पर खर्च होता है, इससे कंपनियों के प्रॉफिट मार्जिन पर असर पड़ता है. विश्लेषकों का मानना है कि मांग में सुधार को देखते हुए भविष्य में अगर कंपनियां सीमेंट की कीमतों में बढ़ोतरी करती हैं तो इसका बोझ आम जनता पर पड़ेगा.
उद्योग के अनुमानों के अनुसार, अक्टूबर 2021 में सीमेंट की कीमतें महीने-दर-महीने और साल-दर-साल 7-8% बढ़कर 384-386 रुपये प्रति 50 किलोग्राम हो गईं हैं. अंतरराष्ट्रीय पेट कोक की कीमतें अक्टूबर में बढ़कर 235-250 डॉलर प्रति टन हो गई, जो एक साल पहले 95-100 डॉलर प्रति टन थी. इसके अलावा कोयले की कीमतें (ऑस्ट्रेलियाई) 55-60 डॉलर से बढ़कर 160 डॉलर प्रति टन हो गईं हैं.
मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि कोरोना के कारण पहले ही प्रॉपर्टी बाजार में मंदा पड़ा हुआ है ऐसे में अगर सीमेंट की कीमतों में बढ़ोतरी होती है तो इससे प्रापर्ट्री कारोबारियों की परेशानियां बढ़ जाएंगी. क्योंकि पुरानी कीमतों पर बिल्डर्स बुकिंग कर चुके होंगे और सीमेंट की कीमतों में वृद्धि से प्रोजेक्ट महंगा हो जाएगा. ऐसे में या तो बिल्डर्स खरीदारों पर बोझ डालेंगे या उन्हें स्वयं घाटा उठाना पड़ेगा. इसके चलते प्रोजेक्ट की रफ्तार धीमी पड़ सकती है. वहीं जो व्यक्ति किराए के मकान से स्वयं के घर में आने का प्लान बना रहा है वह थोड़ा और इंतजार करेगा. क्योंकि उसका जो बजट था वह उससे बाहर हो जाएगा. ऐसे में प्रॉपर्टी बाजार फिर धीमा पड़ा सकता है.