कोरोना ने बढ़ाया कारोबारियों की आत्महत्या का आंकड़ा, अथॉरिटी को हरकत में आना होगा

Businessman Suicide: पिछले पांच वर्षों में कारोबारियों की सुसाइड के मामले बढ़ते गए हैं. यह आंकड़ा 2020 में 30 प्रतिशत की बढ़त के साथ 11,716 पहुंच गया

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खुद की जान लेने वाले कारोबारियों की संख्या पिछले साल (2020 में) पहली बार आत्महत्या करने वाले किसानों से आगे चली गई

खुद की जान लेने वाले कारोबारियों की संख्या पिछले साल (2020 में) पहली बार आत्महत्या करने वाले किसानों से आगे चली गई

कोरोना महामारी के कारण कारोबार ठप पड़ने से परेशान कारोबारियों की खुदकुशी करने की खबरें किसानों की आत्महत्याओं से कुछ समय के लिए ध्यान हटा सकती हैं. कम से कम 11,716 बिजनेसमैन ने 2020 में अपनी जान ली. किसानों की आत्महत्या का आंकड़ा इस दौरान 10,677 रहा.

यह चिंता की बात है कि पिछले पांच वर्षों में कारोबारियों की सुसाइड के मामले बढ़ते गए हैं. यह आंकड़ा 2016 में 8,573, 2017 में 7,778, 2018 में 7,990 और 2019 में 9,052 का रहा. फिर 2020 में 30 प्रतिशत की बढ़त के साथ 11,716 पहुंच गया.

खुद की जान लेने वाले कारोबारियों की संख्या पिछले साल पहली बार आत्महत्या करने वाले किसानों से आगे चली गई. उधर, किसानों के इस आंकड़े में 2016 (11,379) से 2019 (10,281) के बीच गिरावट देखने को मिली.

महामारी के कारण बढ़ा तनाव इसका अहम कारण हो सकता है. नीति-निर्माताओं को इसे एक वेक-अप कॉल की तरह देखना चाहिए. आंकड़े बताते हैं कि इनफॉर्मल सेक्टर पर महामारी की कितनी गहरी मार पड़ी है. कैसे कई छोटे कारोबारियों का धंधा चौपट हो गया और उनके लिए किए गए राहत उपाय उन्हें यह विश्वास दिलाने में असफल रहे कि आने वाला कल बेहतर होगा.

ये आंकड़े वैसे तो नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के डेटा से निकालने गए हैं. हालांकि असल में संख्या और अधिक हो सकता है क्योंकि ऐसे मामले अक्सर दबाने की कोशिश की जाती है और मौत का कारण कुछ और ही पेश किया जाता है.

इनफॉर्मल सेक्टर में जिन कारोबार को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा, उनमें ब्यूटी पार्लर, ईटरी, ट्रैवल एजेंसी, मेंटेनेंस यूनिट, वेंडिंग स्टॉल, छोटी उत्पादन इकाइयां रहीं. ग्राहक और पैसा नहीं मिलना इनके लिए दो बड़ी परेशानियां रहीं. सेक्टर के पास बमुश्किल फॉर्मल क्रेडिट उपलब्ध होता है. लंबे समय तक चलने वाली कठिन परिस्थितियों में खुद को बनाए रख पाना इनके लिए लगभगल नामुमकिन हो जाता है.

सरकार और RBI ने बैंकिंग सिस्टम में काफी लिक्विडिटी बढ़ाई है, मगर इनका फायदा मुख्य रूप से बड़े और MSME सेक्टर को मिल पाया. नीति निर्माताओं को सुनिश्चित करना होगा कि सुसाइड के इन आंकड़ों पर काबू पाया जाए. अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे वापस खड़े होने की प्रक्रिया में है.

Published - November 3, 2021, 07:03 IST