अक्टूबर माह में ऑटो डेबिट ट्रांजैक्शन के लिए बाउंस रेट (Bounce Rate) गिरकर कोविड के पूर्व स्तरों तक पहुंच गया है. ये अर्थव्यवस्था के खुलने के साथ उधारकर्ताओं के बीच स्ट्रेस के कम होने का संकेत हैं. नेशनल ऑटोमेटेड क्लीयरिंग हाउस (NACH) के डेटा के अनुसार, अक्टूबर में बाउंस रेट (Bounce Rate) या असफल ऑटो डेबिट ट्रांजैक्शन का प्रतिशत 31.2 था. यह जनवरी और फरवरी 2020 के बाद का सबसे निचला स्तर है, जब बाउंस रेट क्रमश: 31.04 फीसदी और 31.46 फीसदी था.
कुल मिलाकर, अक्टूबर में NACH प्लेटफॉर्म पर 8.65 करोड़ ऑटो डेबिट ट्रांजैक्शन में से, 5.95 करोड़ या 68.8 प्रतिशत सफल रहे, जबकि 31.2 प्रतिशत फेल हो गए. ऑटो डेबिट ट्रांजैक्शन के लिए बाउंस रेट (Bounce Rate) जुलाई से धीरे-धीरे कम हो रहा है. कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान आर्थिक गतिविधियों के प्रभावित होने से जून में बाउंस रेट (Bounce Rate) 36.5% तक पहुंच गया था. बाउंस रेट (Bounce Rate) सुधरने के साथ ऑटो डेबिट ट्रांजैक्शन वॉल्यूम में भी बढ़ोतरी हुई है. जनवरी 2020 में ऑटो डेबिट ट्रांजैक्शन वॉल्यूम 7.77 करोड़ था, फिर मई 2020 में यह घटकर 6.4 करोड़ हो गया था.
वैल्यू के हिसाब से देखें तो, अक्टूबर में 24.83 प्रतिशत ट्रांजैक्शन फेल हुए हैं. ये जनवरी 2020 के बाद सबसे कम है. सितंबर में, बाउंस रेट वॉल्यूम के संदर्भ में 31.7 प्रतिशत, वैल्यू के संदर्भ में 25.4 प्रतिशत था. कोविड महामारी आने से ठीक पहले फरवरी 2020 में बाउंस रेट वॉल्यूम के हिसाब से 31.46 फीसदी था और वैल्यू के हिसाब से 24.9 फीसदी. NACH प्लेटफॉर्म के माध्यम से असफल ऑटो-डेबिट रिक्वेस्ट को आम तौर पर बाउंस रेट के रूप में संदर्भित किया जाता है.
अधिकांश बैंकों और एनबीएफसी ने दूसरे तिमाही परिणाम में कलेक्शन के सुधरने की जानकारी दी है. ये कोविड से पहले के लेवल तक पहुंच गया है. इस महीने की शुरुआत में, महिंद्रा फाइनेंस ने बताया था कि अक्टूबर में, उसकी कलेक्शन एफिशिएंसी लगभग 91 प्रतिशत रही. पिछले साल समान अवधि में यह 89 प्रतिशत थी.