पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने से हुई 24,300 करोड़ रुपए की बचत

ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने सी-हैवी शीरा से बनने वाले एथेनॉल पर 6.87 रुपए प्रति लीटर का प्रोत्‍साहन देने की घोषणा की है.

E20 Petrol

Blending ethanol into petrol saved Rs 24,300 crore

Blending ethanol into petrol saved Rs 24,300 crore

पेट्रोल में एथेनॉल के मिश्रण से आपूर्ति वर्ष 2022-23 में 24,300 करोड़ रुपए से अधिक की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है. केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरिदीप सिंह पुरी ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने एथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2022-23 के दौरान एथेनॉल मिश्रण से करीब 509 करोड़ लीटर पेट्रोल की बचत की है. इसके साथ ही किसानों को 19,300 करोड़ रुपए का शीघ्र भुगतान किया गया है.

इस अवधि के दौरान शुद्ध कार्बन डाईऑक्‍साइड में 108 लाख मीट्रिक टन की कमी आने का अनुमान है. पिछले सप्‍ताह, ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने सी-हैवी शीरा से बनने वाले एथेनॉल पर 6.87 रुपए प्रति लीटर का प्रोत्‍साहन देने की घोषणा की है. ऑयल कंपनियों का मानना है कि इस प्रोत्‍साहन से सी-हैवी शीरे से एथेनॉल उत्‍पादन को बढ़ावा मिलेगा और एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल प्रोग्राम के लिए एथेनॉल की पर्याप्‍त उपलब्‍धता भी सुनिश्चित होगी.

सी-शीरा चीनी कारखानों का एक उप-उत्पाद है और एथेनॉल उत्पादन के लिए इसका उपयोग हरित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का एक प्रभावी तरीका है. भारत ने अप्रैल 2023 में चरणबद्ध तरीके से 20 फीसद मिश्रित ईंधन का लक्ष्‍य हासिल कर लिया है और उपलब्‍धता बढ़ने से आने वाले दिनों में मिश्रण का अनुपात और बढ़ने की उम्‍मीद है. सरकार ने वित्‍त वर्ष 2024-25 तक पेट्रोल में 20 फीसद एथेनॉल मिश्रण और वित्‍त वर्ष 2029-30 तक 30 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल बेचने का महत्वाकांक्षी लक्ष्‍य निर्धारित किया है. सरकार ने ई20 ईंधन का लक्ष्य 2030 से बदलकर अब 2025 कर दिया है.

तेल आयात की लागत को कम करने, ऊर्जा सुरक्षा, कम कार्बन उत्‍सर्जन और बेहतर वायु गुणवत्‍ता के लिए सरकार ने पेट्रोल में ई20 मिश्रण की शुरुआत की है. ई20 ईंधन की खुदरा बिक्री करने वाले पेट्रोल पंपों की संख्‍या देशभर में 9,300 से ज्‍यादा हो गई है और 2025 तक पूरे देश में ई-20 की बिक्री शुरू हो जाएगी.

रूस से तेल खरीद में भुगतान की कोई समस्या नहीं

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि रूस से तेल खरीदने में भुगतान की कोई समस्या नहीं है और इस खरीद में हाल में आई गिरावट उसकी तरफ से दी जाने वाली कम छूट का नतीजा है. रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले फरवरी, 2022 में भारत ने जितने तेल का आयात किया था, उसमें रूसी तेल की हिस्सेदारी सिर्फ 0.2 फीसद थी. लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बीच रूस ने तेल खरीद पर छूट की पेशकश की जिसके बाद यह हिस्सेदारी बढ़कर 40 फीसद हो गई. रूस अब भारत का शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता देश है.

किसी भी कंपनी ने भुगतान संबंधी समस्याओं के कारण आपूर्ति रोके जाने की शिकायत नहीं की है. देश में 50 लाख बैरल की दैनिक खपत में से 15 लाख बैरल प्रतिदिन रूस से खरीदा जा रहा है. अगर रूस छूट नहीं देगा, तो हम इसे क्यों खरीदेंगे?

Published - January 4, 2024, 01:57 IST