विजय माल्या की संपत्ति की जब्त
16 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक को भगोड़े व्यवसायी विजय माल्या की संपत्ति को जब्त कर, नीलाम करने पर 792.11 करोड़ रुपये प्राप्त हुए.
विजल माल्या की यह संपत्ति एंटीमनी लॉन्ड्रिंग कानून के जब्त की गई थी. इतनी बड़ी रकम इससे पहले एक साथ कभी वसूल नहीं की गई थी.
नीरव मोदी और मेहुल चोकसी पर भी की कार्रवाई
माल्या मामले के अलावा, एक अन्य मामला पंजाब नेशनल बैंक एनएसई की ब्रैडी हाउस (मुंबई) शाखा में मेहुल चोकसी द्वारा 13,500 करोड़ रुपये से अधिक की कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी से संबंधित है.
इस मामले में भी प्रवर्तन निदेशालय ने काफी तेजी और मुस्तैदी दिखाई है. एजेंसी ने इनके द्वारा की गई धोखाधड़ी की 40% रकम जब्त कर ली है. जिसमें से कुछ हिस्सा बैंक को भी लौटाया जा चुका है.
9 हजार करोड़ से अधिक लौटाए सरकारी बैंक को
ईडी ने भगोड़े आरोपी विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की अबतक 18,170.02 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है.
इसमें से 9,371 करोड़ रुपये की संपत्ति ईडी ने सरकारी बैंकों को ट्रांसफर कर दी, ताकि धोखाधड़ी के कारण हुए नुकसान की भरपाई की जा सके.
ईडी ने बताया, विजय माल्या और पीएनबी बैंक धोखाधड़ी मामलों में बैंकों की 40 फीसदी राशि पीएमएलए के तहत जब्त किए गए शेयरों की बिक्री के जरिए वसूली गई है.
ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के बारे में
प्रवर्तन निदेशालय को नई दिल्ली में वर्ष 1956 में स्थापित किया गया था. यह विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) और धन आशोधन अधिनियम के तहत कुछ प्रावधानों को लागू करने के लिए उत्तरदायी है.
पीएमएल के तहत मामलों की जांच और मुकदमे से संबंधित कार्य प्रवर्तन निदेशालय को सौंपे जाते हैं. यह निदेशालय, परिचालन उद्देश्यों के लिए राजस्व विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन है.
फेमा के नीतिगत पहलू, इसके विधायन तथा संशोधन के आर्थिक कार्य विभाग के दायरे में हैं. हालांकि, पीएमएल अधिनियम से संबंधित नीतिगत मुद्दे, राजस्व विभाग की जिम्मेदारी है. फेमा के प्रभावी (1 जून 2000) लागू होने से पूर्व, निदेशालय ने विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 के तहत नियम लागू थे.