नोटबंदी हुए पांच साल बीत चुके हैं. तब से अब तक में करेंसी नोट का सर्कुलेशन धीमी गति से सही, मगर लगातार बढ़ा है. डिजिटल पेमेंट का चलन बढ़ने से इस बढ़त की रफ्तार धीमी रही है.
कोरोना महामारी के चलते लोगों ने हाथों-हाथ ली जाने वाली नोट से दूरी बनाने की कोशिश की. इसके कारण पिछले वित्त वर्ष के सर्कुलेशन में बैंक नोट बढ़ गए.
RBI के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, वैल्यू के लिहाज से सर्कुलेशन में मौजूद बैंकनोट की कीमत 29 अक्टूबर को 29.17 लाख करोड़ रुपये रही, जो 4 नवंबर 2016 को 17.74 लाख करोड़ रुपये थी.
नोट इन सर्कुलेशन (NIC) जो 30 अक्टूबर 2020 को 26.88 लाख करोड़ रुपये था, उसमें 29 अक्टूबर तक करीब 2.29 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई. 30 अक्टूबर 2020 को सालाना बढ़त 4,57,059 करोड़ रुपये की थी. 1 नवंबर 2019 को यह 2,84,451 करोड़ रुपये थी.
NIC में अक्टूबर 2014 से अक्टूबर 2016 के बीच सालाना आधार पर 14.51 प्रतिशत के ग्रोथ रेट के साथ बढ़ोतरी हुई. अर्थव्यवस्था में मौजूद बैंकनोट की संख्या मुख्य रूप से उसकी GDP ग्रोथ, महंगाई और फटे-पुराने नोट के बदले में आईं नई नोट्स पर निर्भर करती है. साथ ही नॉन-कैश पेमेंट की भी बड़ी भूमिका होती है.
डिजिटल पेमेंट का चलन तेजी से बढ़ रहा है. लोग कैश के बजाय इनका इस्तेमाल कर रहे हैं. यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) की 2016 में शुरुआत हुई थी. इसके जरिए अक्टूबर 2021 में 7.71 लाख करोड़ रुपये के ट्रांजैक्शन हुए. कुल 421 करोड़ ट्रांजैक्शन इस माह में हुए.
डिजिटल पेमेंट की लोकप्रियता नोटबंदी के बाद से लगातार बढ़ती जा रही है. हालांकि, कैश अभी भी सबसे ऊपर है. RBI के दिसंबर 2018 से जनवरी 2019 के बीच हुए एक सर्वे के मुताबिक, कैश के जरिए पेमेंट करने और लेने को अभी भी प्राथमिकता मिलती है. छह शहरों में किए गए इस सर्वे में पाया गया कि 500 रुपये तक के ट्रांजैक्शन में इनका सबसे अधिक इस्तेमाल होता है.