भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा देश में मास्टरकार्ड के नए क्रेडिट कार्ड जारी करने पर लगाई गई रोक का असर खुद कंपनी के कारोबार के साथ-साथ देश के उन बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर भी पड़ेगा, जो मास्टर कार्ड के साथ मिलकर अपने क्रेडिट कार्ड जारी करते हैं. इन्हें अब नए कार्ड जारी करने के लिए किसी नए पार्टनर की तलाश करनी होगी. आरबीएल बैंक, येस बैंक के अलावा इंडिगो, मारुति, फ्लिपकार्ट, टाटा, विस्तारा और बुकमाईशो जैसी कंपनियां इसकी जद में आएंगी.
आरबीएल (RBL) बैंक ने हाल ही में स्टॉक एक्सचेंजों को सूचित किया था कि वह लगभग 1 लाख नए क्रेडिट कार्ड जारी कर सकता है. मास्टर कार्ड पर रोक के बाद अब वह इसके लिए उसकी प्रतिद्वंद्वी कंपनी वीजा के साथ बातचीत कर रहा है. ऐसे में नए नेटवर्क के तहत कार्ड जारी करने में उसे अब 8-10 सप्ताह लग जाएंगे.
फिलहाल आरबीएल (RBL) बैंक के 30 लाख क्रेडिट कार्ड हैं और यह 5% बाजार हिस्सेदारी के साथ देश का पांचवां सबसे बड़ा जारीकर्ता है. इसके कार्ड का एक बड़ा हिस्सा बजाज फिनसर्व से साझेदारी के तहत जारी किया गया है.
येस बैंक के प्रवक्ता ने कहा कि नए क्रेडिट कार्ड जारी करने के लिए अन्य प्लेटफार्मों पर विचार किया जा रहा है. प्रवक्ता ने बताया कि वह वीजा और रुपे प्लेटफॉर्म पर डेबिट कार्ड पहले ही जारी करता रहा है. ऐसे में उनके साथ नए क्रेडिट कार्ड जारी करने से उसके कारोबार पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
उधर, बैंकरों का कहना है कि नए क्रेडिट कार्ड जारी करने के लिए वीजा के साथ एक नई साझेदारी के लिए बैंकों और कंपनियों को अब नए सिरे से बातचीत करनी होगी. बैंकर्स का मानना है कि मास्टर कार्ड पर रोक का सबसे ज्यादा फायदा उसके प्रतिद्वंद्वी वीजा को ही मिलेगा, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता में समस्या के चलते बैंक कई रुपे के साथ मिलकर क्रेडिट कार्ड जारी करने से हिचकते हैं. इसी के चलते क्रेडिट कार्ड में रुपे की बाजार हिस्सेदारी अभी भी कम है. हालांकि डेबिट कार्ड के बाजार में वह अग्रणी है.
आरबीएल बैंक – 100%
येस बैंक – 100%
बजाज फायनेंस – 100%
एचडीएफसी बैंक – 60%
इंडसइंड बैंक – 53%
आईसीआईसीआई बैंक – 36%
एक्सिस बैंक – 35%
एसबीआई कार्ड – 10%
स्रोत : सीओएस नोमुरा रिसर्च