उत्पादन क्षमताओं में महत्वपूर्ण वृद्धि और कार्यबल के कौशल विकास जैसे उपायों से 2030 तक 40 अरब अमेरिकी डॉलर के परिधान निर्यात लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी. भारतीय परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) ने मंगलवार को यह बात कही. एईपीसी के चेयरमैन सुधीर सेखरी ने कहा कि सिलाई करने और गुणवत्ता जांचने जैसे कुशल श्रमिक अभी भी पर्याप्त संख्या में नहीं हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि व्यस्त सत्र के दौरान श्रमिक अपने मूल गांवों में चले जाते हैं, जिससे कमी पैदा हो जाती है.
सेखरी ने कहा, ”2030 तक आरएमजी (रेडीमेड परिधान) निर्यात को 40 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने का हमारा लक्ष्य साकार हो सकता है, और इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए हर संभव कदम उठाना मेरा कर्तव्य है.
उन्होंने कहा, ”हमें अपनी क्षमताएं बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि भारत में निर्यात कारोबारी अभी भी बड़ी मात्रा वाले ऑर्डर संभालने में असमर्थ हैं. उन्होंने कहा कि परिषद कार्यबल को कुशल बनाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है.
सेखरी ने कहा, ”हम हर साल 1.5 लाख कुशल श्रमिक तैयार कर रहे हैं, लेकिन यह अभी भी पर्याप्त नहीं है. जिस वृद्धि का लक्ष्य हमने तय किया है, उसे हासिल करने के लिए हमें अपने कार्यबल को और बेहतर बनाने की जरूरत है.