टाटा ग्रुप ने 18 हजार करोड़ की लगाई बोली, एयर इंडिया को खरीदा

Air India: जहांगीर रतनजी दादाभाई (जेआरडी) टाटा ने 1932 में एयरलाइन की स्थापना की. तब इसे टाटा एयरलाइंस कहा जाता था.

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घरेलू हवाई अड्डों पर 4,400 घरेलू और 1,800 अंतरराष्ट्रीय लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट के साथ-साथ विदेशों में हवाई अड्डों पर 900 स्लॉट का नियंत्रण देगी

घरेलू हवाई अड्डों पर 4,400 घरेलू और 1,800 अंतरराष्ट्रीय लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट के साथ-साथ विदेशों में हवाई अड्डों पर 900 स्लॉट का नियंत्रण देगी

टाटा संस ने एयर इंडिया को खरीद लिया है. DIPAM के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने शुक्रवार को यह घोषणा की. उन्‍होंने बताया कि टाटा संस ने कर्ज में डूबी सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया (Air India) को खरीदने के लिए 18 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाई है. इतनी बोली लगाकर टाटा संस एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए शीर्ष बोलीदाता के रूप में उभरा है. बताया कि बोली को 4 अक्टूबर को गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंत्रियों के एक समूह ने मंजूरी दी थी.

सॉल्ट-टू-सॉफ्टवेयर समूह और स्पाइसजेट के प्रमोटर अजय सिंह द्वारा लगाई गई वित्तीय बोलियों को कुछ दिन पहले खोला गया था और कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में विनिवेश पर सचिवों के कोर समूह द्वारा पुनरीक्षित किया गया था.

एयर इंडिया स्पेसिफिक अल्टरनेटिव मैकेनिज्म (AISAM) नामक पैनल के अन्य सदस्य वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं. आपको बता दें कि जहांगीर रतनजी दादाभाई (जेआरडी) टाटा ने 1932 में एयरलाइन की स्थापना की. तब इसे टाटा एयरलाइंस कहा जाता था.

1946 में, टाटा संस के विमानन प्रभाग को एयर इंडिया के रूप में सूचीबद्ध किया गया था और 1948 में, एयर इंडिया इंटरनेशनल को यूरोप के लिए उड़ानों के साथ लॉन्च किया गया था.

स्‍पाइसजेट के अध्‍यक्ष और प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने कहा कि एयर इंडिया के लिए बोली लगाने के लिए शॉर्टलिस्ट किया जाना सम्मान और सौभाग्य की बात है. विश्वास है कि टाटा समूह एयर इंडिया के गौरव को बहाल करेगा और पूरे भारत को गौरवान्वित करेगा. वह एयर इंडिया के सफल विनिवेश पर भी सरकार को बधाई देना चाहते हैं कहा कि वह जीवन भर एयर इंडिया के प्रशंसक रहे हैं और अब दुनिया की अग्रणी एयरलाइन के रूप में अपनी स्थिति को फिर से हासिल करने का समय आ गया है.

1953 में किया गया था राष्‍ट्रीयकरण

अंतर्राष्ट्रीय सेवा भारत में पहली सार्वजनिक-निजी भागीदारी में से एक थी, जिसमें सरकार की 49 प्रतिशत, टाटा की 25 प्रतिशत और जनता की शेष हिस्सेदारी थी. 1953 में, एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया गया था.

सरकार सरकारी स्वामित्व वाली राष्ट्रीय एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की कोशिश कर रही है, जिसमें एआई एक्सप्रेस लिमिटेड में एयर इंडिया की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल है.

जनवरी 2020 में शुरू हुई हिस्सेदारी बिक्री प्रक्रिया में COVID-19 महामारी के कारण देरी का सामना करना पड़ा. अप्रैल 2021 में, सरकार ने संभावित बोलीदाताओं को वित्तीय बोली लगाने के लिए कहा. वित्तीय बोली लगाने का अंतिम दिन 15 सितंबर था.

एयर इंडिया ईओआई के अनुसार, 31 मार्च, 2019 तक एयरलाइन के कुल 60,074 करोड़ रुपये के कर्ज में, खरीदार को 23,286.5 करोड़ रुपये को अवशोषित करने की जरूरत होगी.

एयरलाइन सफल बोलीदाता को घरेलू हवाई अड्डों पर 4,400 घरेलू और 1,800 अंतरराष्ट्रीय लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट के साथ-साथ विदेशों में हवाई अड्डों पर 900 स्लॉट का नियंत्रण देगी.

इसके अलावा, बोली लगाने वाले को कम लागत वाली एयर इंडिया एक्सप्रेस का 100 प्रतिशत और एआईएसएटीएस का 50 प्रतिशत मिलेगा, जो प्रमुख भारतीय हवाई अड्डों पर कार्गो और ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएं प्रदान करता है.

Published - October 8, 2021, 04:42 IST