पहली बार देश में घरेलू कामगारों (Domestic Worker) के आंकड़े जुटाए जा रहे हैं. ये आंकड़े केंद्र सरकार द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों पर जुटाए जा रहे हैं जिसका पूरे देश में सर्वे होगा. केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने घरेलू कामगारों के अखिल भारतीय सर्वेक्षण की शुरुआत की है. यह पहली बार है कि देश में घरेलू कामगारों (Domestic Worker) का एक सर्वेक्षण किया जा रहा है. ताकि घरेलू कामगार आबादी की जनसांख्यिकी को मापा जा सके.
बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के अनुसार यह सर्वे 37 राज्यों के 742 जिलों में होगा. उम्मीद है कि एक साल के अंदर इसके परिणाम आ सकते हैं. ई-श्रम पोर्टल के अनुसार 21 नवंबर तक पोर्टल पर पंजीकृत कुल श्रमिकों में 8.84 प्रतिशत घरेलू कामगारों शामिल थे, जिनमें से 80 प्रतिशत ने खुद को घरेलू रसोइयों के रूप में वर्गीकृत किया, जबकि महिलाएं ई-श्रम पोर्टल पर अभी पंजीकरण करा रही हैं. पंजीकृत कुल श्रमिकों में 51.9 प्रतिशत महिलाएं हैं. घरेलू कामगारों के मामले में पंजीकृत लोगों में से 95.9 प्रतिशत महिलाएं हैं.
ई-श्रम पोर्टल के मुताबिक इस सूची में अधिक अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग घरेलू कार्य में लगे हुए थे. सभी घरेलू कामगारों में से 26.3 प्रतिशत अनुसूचित जाति के थे, और 42.4 प्रतिशत अन्य पिछड़े वर्ग के थे. सामान्य वर्ग और अनुसूचित जनजाति के कम थे. वेतन के मामले में स्थिति अन्य की तुलना में अधिक दयनीय थी. कुल मिलाकर, 10,000 रुपये प्रति माह और उससे कम कमाने वाले श्रमिकों का अनुपात 92.36 प्रतिशत था. यानी घरेलू कामगारों के लिए 95.4 प्रतिशत श्रमिक प्रति माह 10,000 रुपये से कम कमा रहे हैं.
घरेलू कामगारों का 80.8 प्रतिशत हिस्सा पांच राज्यों में पंजीकृत है. इसका अकेले उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार में कुल पंजीकरण का 70 प्रतिशत हिस्सा था, जबकि पंजाब और झारखंड में शेष 10 प्रतिशत का योगदान था. कम वेतन के बावजूद घरेलू कामगारों का बैंक अकाउंट खुला हुआ है.