मनरेगा से जुड़ा चौंकाने वाला खुलासा, 71 प्रतिशत मामलों में भुगतान में हो रही देरी:अध्ययन

अनुसूचित जातियों को भुगतान के लिए स्टेप 2 सात दिन में अनिवार्य रूप से पूरे किए गए. 80 प्रतिशत भुगतान को 15 दिन की अनिवार्य सीमा में पूरा किया गया.

27 lakh unorganised workers registered on e shram portal since launch

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में भी आधे से ज्यादा मामलों में पेमेंट की दूसरी स्टेप पंद्रह दिन से ज्यादा का समय ले रही है

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में भी आधे से ज्यादा मामलों में पेमेंट की दूसरी स्टेप पंद्रह दिन से ज्यादा का समय ले रही है

एक अध्ययन से खुलासा हुआ है कि समय पर भुगतान करने के दावों के बावजूद महात्मा गांधी नरेगा (MGNAREGA) में पेमेंट 71 प्रतिशत की देरी हो रही है. अनिवार्य सात दिन के लेन देन में देरी 71 प्रतिशत तक है. 15 दिन के लेन देन के मामलों में 44 प्रतिशत और 30 दिन के भुगतान के मामले में ये देरी 14 प्रतिशत तक है. बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक ये स्टडी अप्रैल 2021 से सितंबर 2021 के बीच हुए 1.8 मिलियन ट्रांजेक्शन पर आधारित है. इस स्टडी के लिए दस राज्यों के ब्लॉक्स को रैंडमली चुना गया. उनके दस परसेंट फंड ट्रांसफर पर ये स्टेडी बेस है. जिसे लिबटेक इंडिया और पीपुल्स एक्शन फॉर एम्प्लॉयमेंट गारंटी ने किया. लिबटेक इंडिया इंजीनियरों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और सामाजिक वैज्ञानिकों की एक टीम है. ये टीम है जो गांव में दी जाने वाली अलग अलग सर्विसेज और योजनाओं की पारदर्शिता, जवाबदेही और उनके काम पर खुद को केंद्रित कर ऐसी रिपोर्ट तैयार करती हैं.

ऐसे होता है भुगतान

आमतौर पर मनरेगा में दो अलग-अलग चरणों में भुगतान होता है. स्टेज वन में काम पूरा होने के बाद पंचायत या ब्लॉक के कर्मचारी कार्यकर्ता विवरण के साथ एक फंड ट्रांसफर ऑर्डर (FTO) डिजिटल रूप में केंद्र सरकार को भेजते हैं. स्टेज वन को पूरा करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. इन FTO को प्रोसेस करते हुए केंद्र सरकार सीधी मजदूरों के खाते में राशि भेजती है. ये भुगतान प्रक्रिया का दूसरा चरण है. जिसे पूरा करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी होता है.

योजना से जुड़े अधिनियम के दिशा निर्देशों के मुताबिक भुगतान प्रक्रिया का पहला चरण 8 दिनों में पूरा हो जाना चाहिए जबकि दूसरा चरण पहला चरण पूरा होने के सात दिन में पूरा किया जाना चाहिए. केवल इतना ही नहीं 15 दिन से ज्यादा दिन की देर होने पर मजदूर हर दिन की देरी के मुआवजे के भी हकदार हैं.

एक स्टडी से ये जानकारी भी मिली कि गरीब राज्यों को भुगतान में ज्यादा दिन की देरी का सामना करना पड़ रहा है. झारखंड में भुगतान का दूसरा चरण पूरा होने का समय 15 दिन से ज्यादा का हो चुका है. तकरीबन दो तिहाई मामलों में ऐसा हो रहा है. मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में भी आधे से ज्यादा मामलों में पेमेंट की दूसरी स्टेप पंद्रह दिन से ज्यादा का समय ले रही है.

जाति आधारित भुगतान में भी देरी

मार्च 2021 में केंद्र सरकार ने मजदूरों को उनकी जातिगत श्रेणी के आधार पर भुगतान की प्रक्रिया को शुरू किया. पर ये कास्ट बेस्ड पेमेंट हाशिए पर पहुंच चुके समुदाय में सुरक्षा का भाव उत्पन्न करने में खास कामयाब नहीं हुआ. इससे उलट इस प्रक्रिया ने जाति और धर्म के आधार पर खंड अधिकारी और संबंधित समुदायों के काम को बढ़ा दिया.

अध्ययन से ये भी चला कि अनुसूचित जातियों को भुगतान के लिए स्टेप 2 सात दिन में अनिवार्य रूप से पूरे किए गए. 80 प्रतिशत भुगतान को 15 दिन की अनिवार्य सीमा में पूरा किया गया. एसटी के लिए दिनों की अनिवार्य सीमा में क्रमशः 37 फीसदी और 63 फीसदी भुगतान किया गया.

दूसरी श्रेणियों में सात दिन में 26 प्रतिशत और 15 दिन में 51 प्रतिशत भुगतान पूरा किया गया. अध्ययन के अनुसार सितंबर में जाति आधारित भुगतान में स्टेज 2 में सबसे ज्यादा अंतर था. इस अध्ययन में ये भी कहा गया है कि स्टेज 2 के भुगतान में होने वाली देरी के बाद मजदूरों को मुआवजा न देकर केंद्र सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन कर रहा है. अध्ययन में इस मुद्दे पर की गई टिप्पणी इस प्रकार है कि हम आपस में जुड़े तीन अलग अलग मुद्दे देख रहे हैं. पहला मजदूरी के भुगतान में लगातार हो रही देरी. दूसरा भुगतान प्रक्रिया में मनमानी और तीसरी भुगतान संबंधी शिकायतों को दूर करने में कठिनाइयां. जो योजना के अपारदर्शी नियमों की वजह से हैं.

Published - October 31, 2021, 11:15 IST