कोरोना की दूसरी लहर का असर घटने और देश में आर्थिक गतिविधियां बढ़ने के बावजूद जुलाई में सैलरी पर काम करने वाले करीब 32 लाख लोगों की नौकरियां छूटी हैं. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) के आंकड़ों के मुताबिक, जून अंत में 7.97 करोड़ लोग सैलरीड जॉब कर रहे थे. जुलाई अंत में यह आंकड़ा घटकर लगभग 7.6 करोड़ पर आ गया.
कोरोना काल से पहले की बात करें तो जुलाई 2019 में सैलरी पाने वालों की संख्या 8.6 करोड़ थी. वहीं, लेबर पार्टिसिपेशन के मामले में इस साल की जुलाई माह का दर प्री-कोविड के मुकाबले 2.7 फीसदी कम रहा. रोजगार दर भी 3.3 प्रतिशत कम रहा. आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि फॉर्मल सेक्टर में नौकरियों को लेकर माहौल अभी रिकवर नहीं हो पाया.
ग्रामीण, शहरी नौकरियों के आंकड़े
नौकरी खोने वालों में करीब 26 लाख शहरी इलाकों के लोग हैं. जून में जहां शहरों में करीब 4.87 करोड़ लोग सैलरी पर काम कर रहे थे, जुलाई में इनकी संख्या घटकर 4.61 करोड़ पर गई.
हालांकि CMIE की रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई में जॉब लॉस रेट 6.96 प्रतिशत रहा, जो चार महीनों के निचले स्तर पर है. जून में यह 9.17 फीसदी था. जॉब लॉस रेट घटने का मतलब है कि अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है.
बढ़ रही है गिग एंप्लॉयमेंट
जुलाई में ग्रामीण इलाकों का बेरोजगाही दर घटकर 6.3 प्रतिशत पर आ गया. शहरों में बेरोजगारी दर आठ फीसदी के ऊपर बना हुआ है. इस बीच जिन लोगों की नौकरी जा रही है, वे सेल्फ या गिग एंप्लॉयमेंट की ओर बढ़ रहे हैं. जुलाई में 24 लाख लोगों ने इस तरीके को अपनाया है.
CMIE की रिपोर्ट में बताया गया है कि छोटे व्यापारियों की दिहाड़ी मजदूरों की संख्या में जून से जुलाई में 24 लाख की बढ़त हुई है. ऐसे गिग वर्कर्स की कुल संख्या बढ़कर 3.04 करोड़ पहुंच गई है. किसानों की संख्या भी 30 लाख बढ़ी है.