UPI पेमेंट इंटरफेस को रिजर्व बैंक इंडिया (RBI) रेगुलेट करता है. यह भारत में अब तक के सबसे बड़े फिनटेक बदलावों में से एक है. इसने देश के सभी लीडिंग कमर्शियल बैंकों को पीछे छोड़ दिया है. वॉलमार्ट-समर्थित PhonePe, Google पे और पेटीएम पेमेंट्स बैंक भारतीय बैंकों से आगे निकल गए हैं, जो अभी भी अपने खराब डिज़ाइन किए गए ऐप और अपर्याप्त आईटी सिस्टम से जूझ रहे हैं. जनवरी 2021 के आंकड़ों के अनुसार, देश में ट्रांजेक्शन के जरिए UPI भुगतान का लगभग 94% हिस्सा 3 टॉप प्लेयर्स के पास है. वहीं, कुल वैल्यू के मामले में यह आंकड़ा 95 फीसदी है.
ज्यादातर आक्रामक खिलाड़ी जैसे कि PhonePe, Google pay, PayTm और Amazon Pay नए ग्राहकों को आकर्षित करने और इसे ज्यादा लोकप्रिय बनाने के लिए कैशबैक की सुविधा दे रहे हैं. हालांकि, एक सीनियर बैंक के मुताबिक, कैश-बर्न लंबी अवधि के लिए सही रणनीति नहीं है. उन्होंने कहा कि कुछ अजीब कारणों से मुख्यधारा के बैंक अपने ऐप्स को पर्याप्त रूप से बढ़ावा नहीं दे रहे हैं.
PhonePe जनवरी 2021 में गूगल पे को पीछे छोड़ते हुए 969 मिलियन ट्रांजेक्शन के साथ टॉप पर रहा. कुल 1.92 लाख करोड़ रुपए के मूल्य के ट्रांजेक्शन देखने को मिले. गूगल पे ने 854 मिलियन ट्रांजेक्शन किए, जिसकी कुल वैल्यू 1.78 लाख करोड़ रुपए रही. इस मामले में पेटीएम 333 मिलियन ट्रांजैक्शन के साथ तीसरे नंबर पर रहा. इन ट्रांजेक्शन में 37846 करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ. अगर तीनों कंपनियों को साथ देखें तो 4.08 लाख करोड़ के 2.2 बिलियन ट्रांजेक्शंस हुए. वहीं, जनवरी 2021 में UPI का कुल मार्केट 4.31 लाख करोड़ रुपए रहा.
भारतीय रिटेल डिजिटल मार्केट की ग्रोथ में सभी तीन खिलाड़ियों की गूंज है. उदाहरण के लिए, वॉलमार्ट PhonePe पर बड़ा दांव लगा रहा है, जो फ्लिपकार्ट की डिजिटल पेमेंट ऐप है.
PhonePe में डाइवेस्टमेंट का विरोध करने के बाद, वॉलमार्ट ने PhonePe को FlipPart से अलग अलग कंपनी बनाने की मंजूरी दी है और कुछ महीने पहले जुटाए गए $700 मिलियन का ज्यादा हिस्सा उसमें निवेश किया है. पांच साल पुराना फोन-पे की वैल्युएशन 5.5 अरब डॉलर की पहुंच गई है.
इसके विपरीत, UPI लेनदेन को आगे बढ़ाने में बैंक काफी धीमी गति से चल रहे हैं. जबकि एक्सिस बैंक चौथे स्थान पर आता है, जिसमें 618 करोड़ रुपए के लगभग 7 करोड़ 20 लाख लेनदेन हैं. यस बैंक 3218 करोड़ रुपए के 14.8 मिलियन ट्रांजेक्शन के साथ सातवें नंबर पर है. वहीं, आईसीआईसीआई बैंक 1,984 करोड़ रुपये के 10.5 मिलियन ट्रांजेक्शन के साथ आठवें स्थान पर है. SBI ऐप 2,359 करोड़ रुपये के 4.3 मिलियन ट्रांजेक्शन के साथ नौवें स्थान पर है.
बेशक, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने 1 जनवरी 2021 से थर्ड पार्टी ऐप्स के जरिए होने वाली UPI ट्रांजेक्शन पर 30% की कैप लगा दी है. NPCI प्रतिस्पर्धा में हिस्सा बनने की कोशिश कर रहा है, इस आलोचना के बीच जो प्लेयर्स पहले से ही 30%-ब्रैकेट में हैं, उन्हें अपना एक्सपोज़र चरणबद्ध तरीके से नीचे लाने के लिए दो साल का समय दिया गया है. इसका मतलब यही है कि तीनों बड़ी कंपनियों को अपना एक्सपोजर चरणबद्ध तरीके से कम करना होगा. NPCI ने कहा यह कदम लगातार बढ़ते यूपीआई इकोसिस्टम को बेहतर बनाने और इससे जुड़े जोखिम के प्रति जागरुक बनाने के लिए उठाया गया है.
वहीं, NPCI के प्रतिद्वंदी बढ़ने से रिटेल ग्राहकों के लिए डिजिटल मार्केट में विस्तार होगा और नए प्रोडक्ट आने से बिजनेस सिर्फ बड़े प्लेयर्स में सीमित नहीं रहेगा. RBI ने प्राइवेट संस्थाओं को लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो NPCI के डिजिटल पेमेंट में रिटेल एक्सेस और दायरे को बढ़ाने के प्रयासों की सराहना करते इन ऐप्स को नए और इनोवेटिव प्रोडक्ट्स और सिस्टम बनाने में मदद करेगा.
केंद्रीय बैंक ने कहा है कि आरबीआई से मंजूरी मिलने के बाद नई कंपनियां सिस्टम स्थापित करेंगी, जो NPCI द्वारा बनाए गए पहले सिस्टम के साथ काम करेगा. ज्यादा भागीदारी बढ़ाने के लिए, RBI ने कहा कि नई संस्थाएं NPCI के विपरीत मुनाफा कमाने के लिए काम कर सकती हैं. करीब आधा दर्जन एप्लीकेशन आरबीआई को मिल चुकी हैं, वहीं कुछ और कंपनियां भी जल्द आवेदन कर सकती हैं. ज्यादातर आवेदन टाटा ग्रुप कंसोर्शियम से हैं, इनमें एयरटेल डिजिटल, एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक शामिल हैं. पेटीएम-ओला-इंडसइंड बैंक कंसोर्शियम और अमेजन-आईसीआईसीआई बैंक कंसोर्शियम भी है. एक अन्य कंसोर्शियम का नेतृत्व RIL की सहायक कंपनी Jio Infosystems और Infibeam Avenues की सहायक कंपनी So Hum Bharat Digital Payments है, Google और Facebook भागीदार के रूप में जुड़ी रहेंगी.