फरवरी में हालांकि, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के जरिए होने वाले ओवरऑल डिजिटल पेमेंट्स (UPI Payment) में गिरावट आई है, लेकिन फोनपे ने ज्यादा मार्जिन के साथ इस पोजिशन पर खुद को बरकरार रखा है. फोनपे ने लगातार मार्केट में अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाया है. दूसरी ओर, इस मार्केट की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी गूगल पे (Google pay) ने अपने इंटरफेस के जरिए होने वाले ट्रांजैक्शंस में गिरावट दर्ज की है.
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के फरवरी 2021 के आंकड़ों से इसका पता चल रहा है. फोनपे (PhonePe) ने फरवरी के दौरान 97.55 करोड़ ट्रांजैक्शंस हैंडल किए. इनकी कुल वैल्यू 1.9 लाख करोड़ रुपये रही है. जनवरी में फोनपे ने 96.87 करोड़ ट्रांजैक्शंस हैंडल किए थे.
दूसरी ओर, गूगल पे (Google Pay) ने 82.79 करोड़ ट्रांजैक्शंस फरवरी में मैनेज किए, जबकि एक महीने पहले यह आंकड़े 85.35 करोड़ था. इस तरह से गूगल पे को वॉल्यूम में महीने–दर–महीने आधार पर गिरावट का सामना करना पड़ा है. फरवरी में गूगल पे (Google Pay) ने 1.74 लाख करोड़ रुपये के ट्रांजैक्शंस हैंडल किए.
पेटीएम पेमेंट्स बैंक ऐप तीसरे नंबर पर रहा है और इसने इस दौरान 34.07 करोड़ ट्रांजैक्शंस हैंडल किए हैं जिनकी वैल्यू 38,493.5 करोड़ रुपये रही है. इस मार्केट की एक अन्य खिलाड़ी एमेजॉन पे ने 4.42 करोड़ ट्रांजैक्शंस मैनेज किए, यह जनवरी 2021 में इसके 4.63 करोड़ ट्रांजैक्शन से थोड़ा कम है.
UPI आधारित NPCI का पेमेंट ऐप भीम (भारत इंटरफेस फॉर मनी) अपने प्रतिस्पर्धियों से पीछे रहा है. फरवरी में इसने 2.04 करोड़ ट्रांजैक्शंस हैंडल किए हैं, जो कि जनवरी में 2.34 करोड़ थे.
भारतीय बैंक लगातार इस मामले में पीछे बने हुए हैं. UPI को आजादी के बाद भारत की सबसे बड़ी फिनटेक क्रांति के तौर पर माना जाता है. 2020-21 में UPI ट्रांजैक्शंस में जबरदस्त तेजी देखी गई है. बैंकों की अगर बात की जाए तो एक्सिस बैंक ने फरवरी में 6.47 करोड़, ICICI बैंक ने 99.3 लाख और SBI ऐप ने 41.3 लाख ट्रांजैक्शंस हैंडल किए हैं.
हालांकि, फरवरी में ट्रांजैक्शंस की ओवरऑल संख्या मामूली गिरी है. इसकी वजह फरवरी में दिनों की कम संख्या भी है. फरवरी में 229.29 करोड़ ट्रांजैक्शंस हुए जो कि इससे पिछले महीने के 230.27 करोड़ ट्रांजैक्शंस से कम है. इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि मार्च वित्त वर्ष का अंत होता है, ऐसे में इस महीने भी डिजिटल ट्रांजैक्शंस में तेजी देखी जा सकती है.
NPCI ने पहले ही 1 जनवरी 2021 से थर्ड पार्टी ऐप्स के जरिए UPI ट्रांजैक्शंस के वॉल्यूम्स को 30 फीसदी पर सीमित कर दिया है. सभी प्रमुख कंपनियां जो कि पहले से 30 फीसदी के ब्रैकेट में आती हैं, उन्हें अपनी हिस्सेदारी को चरणबद्ध तरीके से घटाने के लिए दो साल का वक्त दिया गया है. NPCI की इस बात के लिए आलोचना हो रही है कि वह प्रतिस्पर्धा को खत्म करना चाहती है. NPCI का कहना है कि इस कदम का मकसद जोखिम को कम करना और UPI के इकोसिस्टम को सुरक्षा देना है.
इसी तरह से RBI ने निजी इकाइयों को आमंत्रित किया है ताकि NPCI जैसी कंपनियां लगाई जा सकें और इस डिजिटल पेमेंट मार्केट में प्रतिस्पर्धा पैदा की जा सके. इसके तहत नए इनोवेटिव प्रोडक्ट लागकर मार्केट का विस्तार करना है. RBI ने संभावित कंपनियों को आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है जो कि NPCI के साथ प्रतिस्पर्धा में पेमेंट प्लेटफॉर्म विकसित करेंगी.