स्मॉल सेविंग्स स्कीमें हमेशा से आम लोगों की पसंदीदा रही हैं. हाल में सरकार के इन स्कीमों की ब्याज दरें घटाए जाने और इसके ऐलान के अगले दिन ही इस फैसले को वापस लेने के चलते ये स्कीमें फिर से सुर्खियों में आ गई हैं.
आंकड़ों की नजर से देखें तो स्मॉल सेविंग्स स्कीमों पर लगातार लोगों का भरोसा बढ़ा है. 2002-03 में इन स्कीमों में करीब 1,18,118 करोड़ रुपये का कलेक्शन हुआ था. वक्त के साथ इन स्कीमों में कलेक्शन लगातार बढ़ा है. 2021-22 के लिए अनुमान है कि इन स्कीमों में कलेक्शन 9,20,221 करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है.
सरकार ने बुधवार को ऐलान के जरिए इन स्कीमों में ब्याज दरों को घटाने की बात की थी. लेकिन, अगले दिन ही गुरुवार को सरकार को इस फैसले को वापस लेना पड़ गया. गौरतलब है कि स्मॉल सेविंग्स स्कीमों में ब्याज दरें हर तिमाही तय होती हैं. पिछले कुछ वर्षों में इन स्कीमों में मिलने वाली ब्याज दरें लगातार कम हुई हैं.
मसलन, 5 साल की सीनियर सिटीजंस सेविंग स्कीम में 2016-17 की अप्रैल से जून की अवधि में 8.6 फीसदी ब्याज मिल रहा था. 2020-21 की जनवरी से मार्च तिमाही में इस स्कीम में ब्याज दर घटकर 7.4 फीसदी पर आ गई है. 5 साल की एमआईएस पर 2016-17 की अप्रैल से जून तिमाही में 7.8 फीसदी ब्याज मिल रहा था जो 2020-21 की जनवरी से मार्च तिमाही में घटकर 6.6 फीसदी पर आ गया है.
इन स्कीमों में ब्याज दरों की कटौती को वापस लेने का हालिया फैसला जानकार कई तरह से देख रहे हैं. कुछ लोगों का मानना है कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों को देखते हुए सरकार को इस इन स्कीमों में ब्याज दरों में कटौती के फैसले को वापस लेना पड़ा है. इन स्कीमों में ब्याज दरें हमेशा से एक संवेदनशील मसला रहा है. पश्चिम बंगाल की अगर बात करें तो इन स्कीमों में राज्य से 89,992 करोड़ रुपये का कलेक्शन रहा है. यह देश में किसी भी दूसरे राज्य के मुकाबले ज्यादा है. दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है जहां इन स्कीमों में कलेक्शन 69,661 करोड़ रुपये है.
इसके अलावा, एक्सपर्ट्स ये भी मान रहे हैं कि बंगाल में चुनावों के बाद सरकार इन ब्याज दरों में कटौती को लागू करेगी.
असल में जमा पर ब्याज दरें ऊपर हैं जबकि कर्ज पर ब्याज दरें निचले स्तर पर मौजूद हैं.
इसके अलावा, स्मॉल सेविंग्स स्कीमों में ऊंची ब्याज दरों के चलते बैंक अपनी FD की दरें भी कम नहीं कर पा रहे हैं. ऊंची ब्याज दरों की वजह से इंटरेस्ट रेट का पूरा स्ट्रक्चर गड़बड़ा गया है.
सरकार ने 2016 में स्मॉल सेविंग्स स्कीमों की ब्याज दरों को मार्केट रेट से जोड़ दिया था. इसके बाद से ही इन स्कीमों में मिलने वाला ब्याज लगातार कम हो रहा है.