DHFL के एफडी और एनसीडी होल्डर्स अब अपने निवेश का एक बड़ा नुकसान देख रहे हैं. एनबीएफसी की पहली रिज़ॉल्यूशन प्रक्रिया का सीधा प्रभाव यह है कि अब हाई इंटरेस्ट रेट के साथ एफडी और एनसीडी के माध्यम से फंड जुटाना कंपनियों के लिए आसान नहीं होगा.
डीएचएफएल (DHFL)में जिन लोगों ने 10 लाख रुपये और उससे अधिक का निवेश किया है वो अपना अधिकांश निवेश अब घाटे में जाता देख रहे हैं. वजह है कि उन्हें अब प्रो-राटा के बेस पर भुगतान किया जाएगा.
पीरामल एंटरप्राइजेज एंड हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (PCHFL) को पीरामल एंटरप्राइजेज की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी की बागडोर सौंपने के कदम के खिलाफ कुछ जमाकर्ताओं ने अब नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) का रुख किया है. पीसीएचएफएल के संकल्प योजना के मुताबिक, एफडी होल्डर्स को 1,375 करोड़ रुपये मिलेंगे. ये 5,375 करोड़ रुपये के कुल दावों का लगभग 23 प्रतिशित है.
कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) के प्रपोजल के मुताबिक, जिन लोगों ने 2 लाख रुपए या उससे कम का निवेश किया है, उन्हें कैश में पूरा भुगतान मिलेगा. इसी के साथ जिन लोगों ने 10 लाख रुपए तक निवेश किया है उन्हें केवल 43 प्रतिशत तक ही भुगतान मिलने की संभावना है. वहीं लास्ट कैटेगरी में ऐसे लोग शामिल हैं जिन्होंने 10 लाख रुपए या इससे ज्यादा का निवेश किया हुआ है. इन लोगों को इंतजार करना होगा. पहले बाकी की कैटेगरी के लोगों को भुगतान किया जाएगा. इसके बाद प्रो-राटा के आधार पर इन्हें भुगतान मिल सकेगा. इस कैटेगरी में शामिल लोग अपनी सेविंग के 75 प्रतिशत तक रुपए खो सकते हैं.
15 जनवरी को हुई ई-वोटिंग में डीएचएफएल (DHFL)क्रेडिटर्स ने बिक्री के वितरण को वाटरफॉल मैकेनिज्म के लिए वोट किया था. इसमें कॉर्पोरेट देनदार की परिसंपत्तियों की बिक्री से मिलने वाले रुपयों को प्राथमिकता के आधार पर एक निश्चित क्रम में वितरित किया जा सकता है. इस योजना के मुताबिक, पहले सिक्योर क्रेडिटर्स को पूरी तरह से भुगतान किया जाना चाहिए. इससे पहले कि कोई अनसिक्योर क्रेडिटर्स को भुगतान हो सके.
इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC), 2016 के तहत, फिक्स्ड डिपॉजिटर्स पेकिंग ऑर्डर में असुरक्षित वित्तीय लेनदारों की श्रेणी में आते हैं।
एक छात्रा सुरभि तिवारी, ने हाल ही में ट्वीट किया कि उसके पिता ने अपने जीवन भर की पूरी सेविंग DHFL की सावधि जमा योजना (Fixed Deposit Scheme) में जमा कर दी थी. अब वह अपने रुपयों के लिए भीख मांगने को मजबूर हो रहे हैं. उसे अपनी एजूकेशन के लिए रुपयों की जरूरत है.
एक और निवेशक, आनंदकृष्णन वी अय्यर, जिन्होंने डीएचएफएल में 5 लाख रुपये जमा किए थे, उन्हें भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2019 से ही डीएचएफएल ने ब्याज देना बंद कर दिया है.
पीरामल ने अंत में एफडी धारकों को जो भुगतान किया है, उससे 10 प्रतिशत अधिक भुगतान करने का वादा किया गया था. बोली लगाने के अंतिम दौर में, ओकट्री कैपिटल ने भी इसी तरह की पेशकश की थी, जिसमें दावा किया गया था कि वे पीरामल द्वारा वादा किए गए 150 करोड़ रुपये की तुलना में एफडी धारकों को 300 करोड़ रुपये अतिरिक्त देंगे.