बचत खाते पर कम ब्याज दर लोगों के लिए बड़ी चिंता का विषय है. वो फिक्स्ड कमाई के नए जरियों की तलाश कर रहे हैं. यही कारण है कि एक्सपर्ट निवेशकों को कॉरपोरेट डिपोजिट (Corporate FD) के बारे में जानकारी दे रहे हैं. ये तेजी से कमाई का नया जरिया बन चुका है.
कॉरपोरेट डिपोजिट (Corporate FD) बैंक FD जैसा ही है. ये एफडी रेट आपको कंपनी ऑफर करती है और इसकी ब्याज दर भी ज्यादा होती है. उदाहरण के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 5 साल की एफडी पर 5.40% पर ब्याज दे रहा है. जबकि कंपनी डिपोजिट में बराबर समयकाल में 5.5 से 8.40% का ब्याज मिल रहा है.
ध्यान रखें: बजाज फाइनेंस लिमिटेड (Bajaj Finance Ltd) पांच साल के पीरियड में 5 करोड़ तक की एफडी पर 7% की सालाना ब्याज दे रहा है. ऐसे ही श्रीराम ट्रांस फाइनेंस 5 साल के लिए 8.40% का ऑफर दे रही है. इन उदाहरणों से समझा जा सकता है कि कंपनियां, बैंक डिपोजिट से 1-3% ज्यादा ब्याज दे रही हैं. कॉरपोरेट एफडी (Corporate FD) पर दांव लगाने से पहले आपको इसमें मौजूद रिस्क को भी समझना होगा.
कॉरपोरेट डिपोजिट क्या है?
कॉरपोरेट एफडी, बैंक एफडी जैसी है. एफडी बैंक द्वारा ऑफर की जाती है, जबकि कॉरपोरेट एफडी (Corporate FD) को कंपनियां ऑफर करती हैं. इसके जरिए कंपनियां जिनमें ज्यादातर NBFC हैं, बाजार से अपनी जरूरतों के लिए पैसा जुटाती हैं. इसके बदले वो निवेशकों को 1 से 7 साल की एफडी के लिए आकर्षक ब्याज दर ऑफर करते हैं.
बजाज कैपिटल के फाइनेंशियल वेलबीइंग ग्रुप डायरेक्टर अनिल चोपड़ा ने बताया “कॉरपोरेट एफडी बैंक डिपोजिट से ज्यादा बेहतर रिटर्न देती है. साथ ही उसमें डिपोजिट के रिन्यूअल पर अतिरिक्त ब्याज भी मिलता है. सीनियर सिटीजन के लिए एफडी पर हर अवधि के लिए अतिरिक्त 0.25-0.40% ब्याज मिलती है. बैंक एफडी में 5 लाख रुपए तक का इंश्योरेंस मिलता है. अगर बैंक फेल हो जाता है, तो ये रकम निवेशक को मिलेगी. जबकि कॉरपोरेट एफडी (Corporate FD) में कोई इंश्योरेंस नहीं होता है.”
ज्यादा रिटर्न
कॉरपोरेट एफडी का सबसे बड़ा फायदा ये है कि उसमें बैंक एफडी की तुलना में ज्यादा ब्याज मिलती है. व्यवसाय में शामिल जोखिमों को ध्यान में रखते हुए वे निवेशकों को आकर्षित करने के लिए उच्च ब्याज दर का भुगतान करते हैं.
सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर कल्पेश अशर का मानना है कि “निवेशक को समझना चाहिए कि ज्यादा रिटर्न के साथ ज्यादा रिस्क भी शामिल होता है. निवेशकों को कॉरपोरेट एफडी के लिए AAA रेटेड कंपनियों में निवेश करना चाहिए. ज्यादा रिटर्न के लिए लोअर रेटेड एफडी पर निवेश नहीं करना चाहिए.”
कितना खतरा शामिल?
हमेशा याद रखिए कि कंपनी में जमा आपका पैसा (Corporate FD) रिस्क पर होता है. क्योंकि कंपनी के डिफॉल्टर होने का खतरा भी है. पहले भी कई बार देखा जा चुका है कि बढ़िया क्रेडिट रैंकिंग के बावजूद कई कंपनियां डिफॉल्टर साबित हुई हैं. उदाहरण के लिए दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन (DHFL) ने 2016 में अपना नॉन कन्वर्टिबल डिबेंचर (NCDs) लॉन्च किया था. पहले दिन वो 6 गुना ज्यादा सब्सक्राइब हुआ था. हालांकि, हाउसिंग फाइनेंस कंपनी 2019 में बॉन्ड रिपेमेंट करने में नाकाम रही. इसी तरह AAA की उच्चतम रेटिंग से IL & FS रेटिंग को दो महीने में घटा दिया गया. यह संकट 2018 में सामने आया जब कंपनी डिबेंचर और टर्म लोन सहित कमर्शियल पेपर्स पर चूक कर गई.
लगेगा कितना टैक्स?
कॉरपोरेट एफडी (Corporate FD) के जरिए जो ब्याज हासिल होती है, वो ‘कमाई के दूसरे जरियों’ के तहत शामिल होगा और उसपर टैक्स लगेगा. इसके बाद आपकी आय जिस टैक्स स्लैब (Tax Slab) के अंतर्गत, उसके तहत टैक्स लगेगा. अगर आपकी आय 10% टैक्स स्लैब में आएगी तो 10% टैक्स लगेगा. यदि टैक्स स्लैब दर 30% है तो टैक्स की दर सबसे ज्यादा लगेगी.
क्या करें?
परंपरागत बैंक एफडी (Bank FD) की तुलना में कॉरपोरेट एफडी (Corporate FD) में ज्यादा खतरा है. क्योंकि इसमें आपका पैसा असुरक्षित है.
चोपड़ा बताते हैं कि “एक कॉरपोरेट एफडी (Corporate FD) में निवेश 5-10% से अधिक नहीं होना चाहिए. जोखिम को देखते हुए, हम केवल एएए रेटिंग के साथ एफडी की सलाह देते हैं.” कॉरपोरेट एफडी में ब्याज दर, बैंक एफडी की तुलना में 1 से 3% ज्यादा होती है. ये पीरियड पर आधारित होती है. फ़िनसेफ़ इंडिया के संस्थापक, अग्रवाल ने कहा, जोखिमों को देखते हुए हम कॉरपोरेट एफडी की वकालत नहीं करते हैं.