Bank Deposits: कोरोना में लोगों की सेविंग्स पर बुरा असर पड़ा है. इसके चलते गुजरात की बैंकों में डिपॉजिट (Bank Deposits) कराने वालो में एक बड़ा हिस्सा एनआरजी (नॉन रेसिडेंट गुजराती) का भी है.
पिछले साल से शुरू हुआ कोरोना संक्रमण लोगों की नौकरियां खा चुका है. जिसकी वजह से गुजरात की बैंकों में एनआरआई डिपॉजिट में करीब 99% की कमी आई है.
बड़ी संख्या में गुजरात के लोग अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका और खाड़ी देशों में रहते हैं. विदेश में रहने वाले गुजराती अपनी नौकरी, व्यवसाय या बिजनेस से जो भी पैसे कमाते हैं, वो गुजरात में रहने वाले रिश्तेदारों को भिजवाते हैं.
प्रॉपर्टी, गोल्ड और बाकी चीजों में भी एनआरआई गुजरातियों का इंवेस्टमेंट रहता है. राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (SLBC)की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, 2019-2020 में राज्य की बैंकों में कुल एनआरआई डिपॉजिट 7977 करोड़ रुपये जमा हुआ था.
जबकि 2020-21 में यह आंकड़ा सिर्फ 74 करोड़ रुपये रहा है, जो पिछले वर्ष की तुलना में करीब 99 प्रतिशत की कमी दर्शाता है. पिछले 10 वर्षों में यह सबसे कम एनआरआई डिपॉजिट है.
इस रिपोर्ट के अनुसार राज्य में कुल एनआरआई डिपॉजिट 80,183 करोड़ रुपये है. 2010-11 में यह आंकड़ा 22,976 करोड़ रुपये था. 10 साल में डिपॉजिट में चौगुना वृद्धि हुई है.
सबसे बड़ी वृद्धि 2013-14 में 13,839 करोड़ रुपये की हुई थी. 2018-19 में 449 करोड़ रुपये जमा किए गए. राज्य में सबसे ज्यादा डिपॉजिट 16,828 करोड़ रुपये अहमदाबाद जिले में है.
NRI डिपॉजिट के मामले में कच्छ जिला दूसरे स्थान पर है. कच्छ जिले में 13,726 करोड़ रुपये की डिपॉजिट बैंको में जमा है. राज्य के कुल NRI डिपॉजिट का 83 फीसदी अहमदाबाद, कच्छ, वडोदरा, आणंद, राजकोट, सूरत, नवसारी समेत 7 जिलों में है.
शिकागो स्थित ग्रॉसरी स्टोर में काम करने वाले कमलेश जोशी बताते हैं कि कोरोना की वजह से यूएस में कई दिनों तक लॉकडाउन रहा. अनलॉक के बाद भी लोग कम संख्या में शॉपिंग के लिए आ रहे हैं.
ग्राहकों की कमी के कारण कई स्टोर परमानेंट, तो कई काफी दिनों तक बंद रहे. जिसमें से एक स्टोर मेरा भी है. स्टोर बंद होने की वजह से लोगों की इनकम पर असर पड़ा है.
पहले मैं खुद हर साल कुछ पैसा अहमदाबाद की बैंक में डिपॉजिट करता था, लेकिन इस बार मैंने बिलकुल भी पैसा जमा नहीं किया है.
लंदन से कुछ दूरी पर रहने वाले निलेश पारेख रेस्टोरेंट में मैनेजर हैं. वो बताते हैं कि कोरोना काल में लंदन काफी दिनों तक बंद रहा. कोविड ने हॉस्पिटालिटी सेक्टर की कमर तोड़ दी है. रेस्टोरेंट मालिक ग्राहकों के लिए तरस रहे हैं.
यही कारण है कि इंडिया में रिश्तेदारों को भेजने के लिए पाउंड बचते ही नहीं है. हालांकि स्थिति अब सामान्य हो रही है और साल का बाकी का समय अच्छा रहने की उम्मीद है.