साइबर अपराधी महत्वपूर्ण व्यक्तिगत जानकारियों का खुलासा करने के लिए भारतीय यूजर्स (Indian Users) को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. सोमवार को एक नई रिपोर्ट में चेतावनी दी गई कि संदिग्ध संदेशों से यूजर्स को आयकर रिफंड के लिए एक आवेदन प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है. इसे एक ऐसे लिंक के साथ अंजाम दिया जा रहा है, जो यूजर्स को आयकर ई-फाइलिंग वेब पेज की तरह दिखता है.
टारगेट किए गए बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, ICICI, HDFC, एक्सिस बैंक और पंजाब नेशनल बैंक (PNB) शामिल हैं. नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक साइबरपीस फाउंडेशन द्वारा साइबर सिक्योरिटी कंपनी ऑटोबोट इंफोसेक के साथ मिलकर की गई एक जांच में इसका खुलासा किया गया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि संदिग्ध लिंक अमेरिका और फ्रांस से संबंधित हैं. यह भी कहा गया है कि यह अभियान यूजर्स से व्यक्तिगत और साथ ही बैंकिंग जानकारी एकत्र कर रहा है और इस प्रकार के जाल में फंसने से यूजर्स को बड़े पैमाने पर वित्तीय नुकसान हो सकता है.एसएमएस के साथ साझा लिंक का कोई डोमेन नाम नहीं है और यह भारत सरकार के साथ लिंक नहीं है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अभियान से जुड़े सभी आईपी एड्रेस कुछ तृतीय पक्ष (थर्ड पार्टी) समर्पित क्लाउड होस्टिंग प्रदाताओं के हैं. पूरा अभियान सुरक्षित एचटीटीपी के बजाय सामान्य या प्लैन एचटीटीपी प्रोटोकॉल का उपयोग करता है। इसका मतलब है कि नेटवर्क या इंटरनेट पर कोई भी व्यक्ति ट्रैफिक को बाधित कर सकता है और पीड़ित के खिलाफ दुरुपयोग करने के लिए सामान्य टेक्स्ट में गोपनीय जानकारी प्राप्त कर सकता है.
जानकारों के मुताबिक अभी भी पूरी दुनिया में ग्लोबल साइबर सिक्योरिटी फोर्स की बहुत भारी कमी है. ऐसे में हमारे लिए यह जानना बहुत जरूरी होगा कि साइबरस्पेस में हमारे दुश्मन कौन है. इस बात का अंदाजा शुरुआती दौर में सटीक नहीं हो पाता है। इसलिए हमारे पास ऐसी तकनीकी का होना बेहद जरूरी है. हालांकि सरकार ने इसे रोकने को लेकर कई कदम उठाएं हैं. लेकिन इसकी सटीक जानकारी निकाल पाना आज भी एक कठिन काम है.