बिटकॉइन (Bitcoin) की कीमतें बुधवार को 30 फीसदी गिरकर 30,000 डॉलर के लेवल पर आ गईं. इस तरह से पूरी दुनिया में Cryptocurrency निवेशकों की करीब 500 अरब डॉलर की पूंजी स्वाहा हो गई.
इसके चलते निवेशकों में अफरातफरी फैल गई और लोग अपनी होल्डिंग्स को हड़बड़ी में बेचने के लिए दौड़ पड़े. दूसरी तरफ, कुछ निवेशकों ने इन्हें सस्ते दाम पर खरीदने के लिए भी कोशिशें शुरू कर दीं. इसके चलते भारत समेत पूरी दुनिया में क्रिप्टो एक्सचेंज (Cryptocurrency) क्रैश हो गए.
भारत के सबसे बड़े एक्सचेंज WazirX के सीईओ निश्चिल शेट्टी ने कहा, “कीमतों में तेज गिरावट के चलते तमाम लोग सस्ते दाम पर खरीदारी के लिए उत्साहित हुए और ऐसे में भारी ट्रैफिक पैदा हो गया. हम पिछले महीने के मुकाबले करीब 400% ज्यादा ट्रैफिक देख रहे हैं. आज के तगड़े मार्केट क्रैश के चलते कुछ टॉप इंटरनेशनल क्रिप्टो (Cryptocurrency) एक्सचेंजों में आउटेज भी पैदा हो गया.”
बिटकॉइन क्रैश क्यों हुए?
टेस्ला के बॉस एलन मस्क ने क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की दुनिया को ये झटका दिया है. उन्होंने 13 मई को एक यू-टर्न लेते हुए कहा कि उनकी कार कंपनी टेस्ला अब अपनी कारों की खरीदारी के लिए बिटकॉइन (Bitcoin) में पेमेंट नहीं लेगी.
इसके चलते बिटकॉइन (Bitcoin) की कीमतों में गिरावट आने लगी. इसके बाद पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी को पेमेंट ट्रांजैक्शंस के लिए वैध नहीं माना जा सकता है. इसके चलते इनमें और गिरावट आई.
भारत की रेगुलेटरी अनिश्चितता
ये क्रैश ऐसे वक्त पर आया है जबकि खबरों के मुताबिक, भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) रेगुलेशंस के लिए एक नया पैनल बनाने पर विचार कर रही है.
पहले RBI ने क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर बैन लगा दिया था, इसके बाद मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस बैन को खारिज कर दिया.
भारतीय बैंक हालांकि, अभी भी क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एक्सचेंजों को ट्रांजैक्शंस के लिए इजाजत नहीं देते हैं.
दूसरी तरफ, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कह चुकी हैं कि क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) रेगुलेशंस के लिए एक नपीतुली एप्रोच पर काम किया जाएगा.
नए पैनल के बनाए जाने की खबरों से क्रिप्टोकरेंसी निवेशक और इससे जुड़े पक्षों में उत्साह बना हुआ था. यहां तक कि कंपनी मामलों के मंत्रालय ने भी कंपनियों से कहा है कि वे अपनी क्रिप्टो होल्डिंग्स का खुलासा करें. इसे भी एक सकारात्मक कदम के तौर पर देखा जा रहा था.
ZebPay के Co-CEO अविनाश शेखर ने मनी9 को बताया था, “कंपनी मामलों के मंत्रालय ने एक सही दिशा में कदम उठाया है. हमारा मानना है कि इस निर्देश के बाद क्रिप्टो के इर्दगिर्द एक व्यापक रेगुलेशंस का माहौल बनेगा. ऐसा पहली बार है जबकि सरकार ने औपचारिक तौर पर क्रिप्टो (Cryptocurrency) को एक एसेट क्लास के तौर पर मान्यता दी है.”
क्या ये क्रैश तय था?
कई लोग हालांकि, अभी भी बिटकॉइन (Bitcoin) और दूसरी क्रिप्टोकरेंसीज (Cryptocurrency) को लेकर बुलिश बने हुए हैं, लेकिन कुछ फाइनेंशियल एडवाइजर्स ने इस क्रैश का पहले ही अंदाजा लगा लिया था. इन्होंने अपने क्लाइंट्स को पहले ही सुरक्षित निवेश में पैसा लगाने की सलाह दी थी.
वीकेंड इनवेस्टिंग के फाउंडर आलोक जैन कहते हैं, “चीन के क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की ट्रेडिंग पर पाबंदी लगाने और भारत के इनकी ट्रेडिंग पर तकरीबन बैन लगाने का मन बनाने के साथ ही यहां पर क्रिप्टो का रास्ता खत्म होता दिख रहा है. दुनिया की एक-तिहाई इसे नकार चुकी है. हां, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को स्वीकारा जाएगा, लेकिन कोई भी केंद्रीय बैंक इसके मॉनेटरी कंट्रोल को नहीं लेना चाहता. मुझे गता है कि ट्रेडिंग के लिहाज से ये एक अच्छा इंस्ट्रूमेंट है, लेकिन यह पूंजी इकट्ठा करने का जरिया नहीं है.”
जो पोर्टफोलियो मैनेजर पहले NRI क्लाइंट्स को अपने एसेट एलोकेशन में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को शामिल करने की सलाह दे रहे थे वे भी अब सुरक्षित पोजिशन लेने की सलाह दे रहे हैं.
एड्रॉयड PMS के पोर्टफोलियो मैनेजर अमित कुमार गुप्ता के मुताबिक, “हम सोमवार को ही बिटकॉइन (Bitcoin) से निकल गए थे. हमारा करीब 40 फीसदी एलोकेशन बचा था. हम अब इनमें खरीदारी की कोई जल्दबाजी नहीं करेंगे.”