क्रिप्टो बड़ा या बाजार, हो गई तकरार   

अब कार्तिक का समय कैफे की जगह चाय की टपरी पर बीतता है. कार्तिक चाय की टपरी पर बैठा एक क्रिप्टो एक्सचेंज के कस्टमर केयर का फोन लगा रहा था.

क्रिप्टो बड़ा या बाजार, हो गई तकरार   

क्रिप्टो निवेशक कार्तिक के हाल इन दिनों खराब है. वजहें जगजाहिर हैं. सख्ती बढ़ती जा रही और क्रिप्टो की चमक दिनोंदिन फींकी पड़ रही. अब कार्तिक का समय कैफे की जगह चाय की टपरी पर बीतता है… कार्तिक चाय की टपरी पर बैठा एक क्रिप्टो एक्सचेंज के कस्टमर केयर का फोन लगा रहा था. रसिक भाई उधर से गुजर रहे थे.

कार्तिक को देखते ही रुक.. लेकिन ये क्या तैश तो रसिक भाई के चेहरे का भी गायब है. रसिक भाई बोलेः और कार्तिक क्या हाल हैं??

कार्तिकः हाल क्या हैं ढीले ही हैं…आओ चाय पिलाते हैं.
रसिकः अरे कॉफी की जगह चाय?

कार्तिकः हां रसिक भाई…आज चाय का ही मन है.
रसिकः ठीक है कर दो ऑर्डर…इलायची वाली…
रसिकः और सुनाओ….तुम्हारे क्रिप्टो के क्या हाल हैं….सुना है वेल्थ मैनेजमेंट सर्विस ले ली है तुमने…इत्ता माल बना लिया है.

कार्तिकः हां…ले लो मौज…यहां कार छोड़कर बाइक से दफ्तर आने लगा हूं…तुम्हें दिल्लगी सूझ रही है.
रसिकः हाहाहा…जब मैं मना कर रहा था कि क्रिप्टो में पैसा मत लगाओ तब तुम्हें लग रहा था कि मैं दुश्मन हूं तुम्हारा.

कार्तिकः अरे दद्दा तुम ठहरे पुराने जमाने के…मैं नई पीढ़ी का स्मार्ट आदमी हूं…और हर स्मार्ट बंदा क्रिप्टो में पैसे लगाता है.
रसिकः निकल गई स्मार्टनेस!….इसीलिए बोलता था बेटा…कभी-कभी हम पुराने लोगों की भी बात मान लिया करो…फायदे में रहोगे.

कार्तिकः हां…गुरुजी…आपका हाल भी दिख ही रहा है.
रसिकः मेरा हाल तो सब चंगा सी वाला है…मौज है अपनी..

कार्तिकः हां…कुछ शेयर बाजार में मौज चल रही है, कुछ तुम मौज कर रहे हो.
रसिकः अरे बाजार का क्या है आज गिरा है कल चढ़ जाएगा.

कार्तिकः तुम्हारे पड़ोसी बता रहे थे कि इत्ता लॉस हुआ है कि एक टाइम ही खाना खा रहे हो आजकल??
रसिकः नाम बताओ…किसने कहा तुम्हें…फालतू की अफवाह…अरे वो तो वेट बढ़ गया था सो थोड़ा डाइटिंग पे हूं.

कार्तिकः निकल गया ज्ञान…हैं.
रसिकः अरे…मेरी छोड़ो…मेरे शेयर तो फिर चढ़ जाएंगे…तुम्हारे क्रिप्टो से तो सब निवेशक अब छोड़कर जाने लगे.

कार्तिकः थोड़ी हलचल है…कानून आने तक रहेगा ऐसा ही.
रसिकः इसे हलचल नहीं, भगदड़ बोलते हैं बेटा…और तो और सुन रहे हैं कि क्रिप्टो एक्सचेंज चलाने वाले भी देश से भाग गए हैं..दुबई और लंदन…कोई भरोसा है इनका…तुम यहां रह गए..वे पैसा पीटकर चलते बने.

कार्तिकः यही तो पंगा तुम नहीं समझते…ये सब टैक्स का चक्कर है…अब सरकार ही हाथ धोकर पीछे पड़ गई है तो क्या करें…उन्हें भी धंधा तो चलाना ही है…1% TDS से निपटने के लिए अब ये लोग बाहर रहकर चलाएंगे धंधा.
रसिकः और तुम पर जो 30% टैक्स ठोक दिया … जुआ मान रही है सरकार क्रिप्टो को.

कार्तिकः वही तो मैं कह रहा हूं…सरकार के तो बहाने हैं…उसे मौका चाहिए आपकी जेब से पैसा खींचने का.
रसिकः यहीं तो गलत हो तुम बेटा…सरकार तुम्हें बचाना चाहती है…सरकार नहीं चाहती कि तुम जुआ खेलो और तुम्हारा घर-परिवार बर्बाद हो जाए.

कार्तिकः अरे यार, मेरा पैसा..जो मर्जी करूं…डूबे तो डूब जाए..सरकार को क्या?
रसिकः लोग तो मोटे मुनाफे के चक्कर में कर्ज लेकर भी इनमें पैसा लगा बैठते हैं…सोचो लाखों लोग अगर अपना इस तरह से पैसा डुबा बैठें…सरकार की तो आफत ही हो जाएगी…तब तुम उसी के पास जाकर रोओगे.

कार्तिकः अरे रहने दो यार… जो लोग बाजार में डूब रहे हैं रोज, उनका क्या…उनकी जिम्मेदारी लेती है क्या सरकार…??? फ्यूचर्स, ऑप्शंस में तबाह हो जाते हैं लोग…सरकार को उनकी है कोई फिक्र.
रसिकः अरे, शेयरों के पीछे किसी कंपनी का कारोबार होता है…एक लॉजिक होता है…लॉटरी नहीं है शेयर बाजार…समझे.

कार्तिकः कुछ कहो…फरवरी से अब तक कित्ता गिर गया बाजार…बाजार में मुनाफे पर क्यों नहीं लेते 30 फीसदी टैक्स.
रसिकः अरे…तुम कैसे पढ़े-लिखे हो…अरे रूस-यूक्रेन लड़ गए हैं..पता है…उधर महंगाई मारे ले रही है…और तीसरा, ब्याज दरों का साइकिल उलट गया है…हो तो बड़े स्मार्ट, लेकिन पता नहीं है तुम्हें घंटा.

कार्तिकः रसिक भाई…उम्र का लिहाज करता हूं…ज्यादा बांस न करो.
रसिकः अरे सॉरी..दिल पे मत ले भाई…अभी भी वक्त है संभल जाओ.

कार्तिकः ऐसा है मैं जल्दी हार मानने वालों में नहीं हूं…और सुनो रूस में भी क्रिप्टो माइनिंग शुरू हो रही है. वहां कानून भी आने वाला है.
रसिकः ऐसा है किसी नए झंझट में मत पड़ जाना…क्रिप्टो से मनी लाउंड्रिंग पर सरकार की नजर है और हां. इनकम टैक्स रिटर्न में अपने पूरे क्रिप्टो लेनदेन का ब्योरा दे देना..नहीं बाद में सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते फिरो.

कार्तिकः बस करो दद्दा…बहुत हो गया ज्ञान…मैं तो सरकार के कानून का इंतजार कर रहा हूं…तभी तय होगी आगे की स्ट्रैटेजी.
रसिकः अरे थोड़ा बहुत कमा भी लिया तो उस पर 30% सरकार ले लेगी…क्या ही बचेगा हाथ…इससे अच्छा है बाजार में पैसा लगाओ…चैन की नींद आएगी.

कार्तिकः चलो देखता हूं रसिक भाई…सच बताऊं फिलहाल तो महंगाई ही इत्ती है कि इन्वेस्ट करने के लिए एक पैसा नहीं बचता…चाय के पैसे भी आप ही देना आज…खूब ज्ञान पेला है.
रसिकः हाहाहा…पैसा मैं दे दूंगा…लेकिन, सलाह पर गौर जरूर करना.

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Published - April 25, 2022, 04:27 IST