बिटकॉइन (Bitcoin)- एक बुलबुला, जिसके फूटने पर सबकुछ तबाह हो सकता है. इस तरह की बातें कई बार सामने आईं. लेकिन, फिर इसके चाहने वालों पर इन बातों का कोई खास असर नहीं दिखा. लेकिन, Bitcoin के भविष्य पर अब खतरा दिखने लगा है. बिटकॉइन को लेकर चीन से बुरी खबर आई है. पहले ही काफी देशों ने क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने की मंशा जताई है. अब चीन से बिटकॉइन को डबल चोट लग सकती है.
माइनिंग पर लगी रोक?
चीन के मंगोलिया में बिटकॉइन (Bitcoin) समेत दूसरी क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया गया है. दरअसल, बिटकॉइन माइनिंग में सबसे ज्यादा इस्तेमाल बिजली का होता है. बिजली की बड़ी मात्रा में खपत होती है. इसी खपत को कम करने के लिए इनर मंगोलिया में माइनिंग पर प्रतिबंध लगाया गया है. अप्रैल महीने में तमाम माइनिंग केंद्र बंद कर दिए जाएंगे. चीन के इस फैसले से बिटकॉइन पर संकट दिखाई दे रहा है.
मंगोलिया में कैसे शुरू हुई माइनिंग?
Bitcoin के लिए बिजली की बड़ी खपत दुनिया भर के लिए चिंता है. बढ़ती लोकप्रियता के साथ पर्यावरण संबंधी चिंताएं भी बढ़ी हैं. इसलिए ऑटोनॉमस क्षेत्र इनर मंगोलिया में कोल के बड़े भंडार हैं. ऐसे में यहां बिजली काफी सस्ती है. क्रिप्टो माइनर्स के लिए ये पसंदीदा जगह है. इसलिए ही यहां से माइनिंग का प्रोसेस काफी पहले शुरू हुआ. ZebPay के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर विक्रम रंगाला के मुताबिक, पूरी दुनिया में बिटकॉइन के 8% माइनिंग कंप्यूटर पावर इसी क्षेत्र में लगे है. Bitcoin प्रोटोकॉल के तहत इसकी माइनिंग फिक्स है. कुल 21 मिलियन बिटकॉइन ही माइन किए जा सकते हैं और फिलहाल तकरीबन 18.6 मिलियन बिटकॉइन माइन किए जा चुके हैं. वर्ष 2140 तक केवल 21 मिलियन (2 करोड़ 10 लाख) बिटकॉइन ही जारी किए जा सकते हैं. इस खबर से शॉर्ट टर्म में इसकी कीमतों पर असर देखने को मिल सकता है. लेकिन, दूसरे माइनर्स के चलते इस गैप को फिल करने में मदद मिल सकेगी. मंगोलिया डेवलपमेंट एंड रिफॉर्म कमीशन की वेबसाइट पर प्रकाशित ड्राफ्ट प्लान में साफ किया गया है कि नई डिजिटल करेंसी या फिर नए बिटकॉइन पर रोक लगा दी गई है.
क्या होती है बिटकॉइन माइनिंग?
बिटकॉइन एक तरह की डिजिटल करेंसी है. इसे कोई रेगुलेट नहीं करता है. यह किसी सरकार, संस्था या व्यक्ति के हाथों में नहीं है. ऐसी क्रिप्टोकरेंसी को माइनिंग के जरिए ही बनाया जाता है. इसमें ब्लॉक चेन एक पब्लिक लेजर शेयर करता है जहां सभी बिटकॉइन नेटवर्क्स होते हैं. सभी कन्फर्म्ड ट्रांजैक्शन्स ब्लॉक चेन में शामिल होते हैं. यह बिटकॉइन वॉलेट को खर्च किए जाने लायक बैलेंस को कैलकुलेट करने की इजाजत देते हैं ताकि नए ट्रांजैक्शन्स को वैरीफाई किया जा सके. इससे यह भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि खर्च करने वाला ही इसका ओनर है. ये सभी चीजें क्रिप्टोग्राफी से नियंत्रित की जाती हैं. हर बिटकॉइन ट्रांजैक्शन को वेरीफाई करने के लिए कुछ कंप्यूटर और गणित में एक्सपर्ट लोगों की जरूरत होती हैं. किसी भी लेनदेन को वेरीफाई करने के लिए गणित और प्रोग्रामिंग की जटिल समस्याओं को सुलझाना होता है.
चीन ला रहा है अपनी डिजिटल करेंसी!
चीन से दूसरी बड़ी खबर यह भी है कि उसने अपनी डिजिटल करेंसी पर काम शुरू कर दिया है. इसका ट्रायल शंघाई और बीजिंग जैसे शहरों में किया जा रहा है. चीन में लोगों को भी इसमें शामिल किया गया है. इलेक्ट्रॉनिक चाइनीज युआन (eCNY) का ट्रायल 2020 में 4 शहरों से किया गया था. अब इसमें शांघाई और बीजिंग को भी जोड़ा गया है. बीते 1 साल में 50 से भी ज्यादा देशों ने अपनी डिजिटल मुद्रा का ट्रायल किया है. लेकिन, चीन में इसका काम अभी सबसे आगे चल रहा है.