वैक्सीन (Vaccine) की किल्लत दूर करने की कवायद में केंद्र सरकार जुटी हुई है. इस बीच एक अच्छी खबर निकलकर आई है. कोरोना महामारी के बीच वैक्सीन (Vaccine) की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने बुलंदशहर की भारत इम्यूनोजिकल एंड बायोलॉजिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बिबकोल) को कोरोना वैक्सीन, कोवैक्सीन तैयार करने की मंजूरी दे दी है.
बिबकोल हर महीने यूपी के बुलंदशहर प्लांट में कोवैक्सीन की 2 करोड़ डोज तैयार करेगी. स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा इसके उत्पादन के लिए बिबकोल को 30 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सेंट्रल ड्रग्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन को देश में वैक्सीन की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. इसके लिए 3 सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का चयन किया गया है.
इन तीन कंपनियों में महाराष्ट्र की हैफकिन बायो फार्मास्युटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की इंडियन इम्यूनोलॉजिकल लिमिटेड (आईआईएल) और बुलंदशहर स्थित भारत इम्यूनोलॉजिकल्स एंड बायोलॉजिकल कॉर्पोरेशन (बिबकोल) शामिल है. बिबकोल भारत सरकार की ही कंपनी है. यह अभी तक पोलियो की वैक्सीन बनाती रही है, लेकिन अब यहां कोरोना की वैक्सीन भी बनाई जाएगी.
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दरअसल, आत्मनिर्भर भारत 3.0 के ‘मिशन कोविड सुरक्षा’ के तहत स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन, कोवैक्सीन के विकास और उत्पादन में तेजी लाई जा रही है. इस मिशन के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत में उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिहाज से वैक्सीन निर्माण सुविधाओं के लिए अनुदान के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है.
जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अनुसार, मई-जून, 2021 तक कोवैक्सीन की उत्पादन क्षमता दोगुनी हो जाएगी. वहीं जुलाई-अगस्त, 2021 तक लगभग 6 से 7 गुना तक बढ़ जाएगी. सितंबर, 2021 तक प्रतिमाह लगभग 10 करोड़ खुराक पहुंचने की उम्मीद है.
कोविड-19 वैक्सीन के उत्पादन को तेज करने के लिए नवंबर 2020 में मिशन कोविड सुरक्षा की शुरुआत की गई. इसके पहले चरण के लिए 900 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.
मिशन के पहले चरण में 12 माह की अवधि के लिए रुपये आवंटित किए गए हैं. मंत्रालय के द्वारा शैक्षणिक और उद्योग जगत, दोनों में ही अब तक कुल 10 वैक्सीन कैंडिडेट्स को समर्थन दिया गया है.
बता दें, भारत में अभी तक लगभग 17 करोड़ 72 लाख से अधिक कोविड-19 वैक्सीन की डोज दी जा चुकी हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, कोरोना से स्वस्थ होने की दर 83.26 फीसदी है.