केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि एक जैविक उत्पाद होने के कारण टीके (Vaccine) को तैयार करने और गुणवत्ता जांच में समय लगता है और सुरक्षित उत्पाद सुनिश्चित करने के चलते यह रातोंरात नहीं किया जा सकता है.
मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार, कोविड-19 के लिए टीकाकरण पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के माध्यम से देश में टीके उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निर्माताओं के साथ नियमित रूप से बातचीत कर रही है जिसमें फाइजर, मॉडर्ना जैसे निर्माता शामिल हैं.
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘ठोस कार्रवाई इस बात का मजबूत संकेत है कि भारत सरकार देश में टीके का उत्पादन (Vaccine Production) बढ़ाने के साथ-साथ विदेशी टीका निर्माताओं को राष्ट्रीय कोविड टीकाकरण कार्यक्रम के लिए आवश्यक टीके की खुराक की आपूर्ति के लिए आकर्षित करने के वास्ते हर संभव प्रयास कर रही है.’’
मंत्रालय ने कहा कि उपलब्धता की बाधाओं के बावजूद, भारत ने केवल 130 दिनों में 20 करोड़ लोगों का टीकाकरण करते हुए अच्छा प्रदर्शन किया है, जो दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी कवरेज है.
सरकार ने शुक्रवार को जानकारी दी है कि स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन का उत्पादन जुलाई से अगस्त तक बढ़ाकर प्रति माह 6 से 7 करोड़ डोज करने की तैयारी है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, अप्रैल तक हर महीने कोवैक्सीन की एक करोड़ डोज का उत्पादन हो रहा था.
सितंबर तक भारत बायोटेक की तैयारी है कि हर महीने 10 करोड़ वैक्सीन डोज का उत्पादन हो सके.
कोविन के मुताबिक देश में अब तक 2.21 करोड़ कोवैक्सीन डोज लगाई जा चुकी है जबकि कोविशील्ड की 18.24 करोड़ डोज देशभर में लगाए जा चुके हैं.
18 से 44 वर्ष के बीच के 3.14 करोड़ लोगों को वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगाई जा चुकी है जबकि 60 साल से ऊपर के 5.87 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी गई है.
45 से 60 साल के बीच के 7.04 करोड़ लोगों को टीका लगाया गया है.