कोरोना महामारी को देखते हुए रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (RAI) ने बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से राहत देने की गुहार लगाई. रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (RAI)ने रिटेलरों को इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम के सभी लाभ बढ़ाने के लिए कहा है. साथ ही 6 महीने तक के सभी मूलधन और ब्याज पर स्थगन की मांग की. रिटेलर्स ने कहा कि महामारी ने रिटेल सेक्टर को अपंग बना दिया है. राहत नहीं दिए जाने पर 75 हजार करोड़ रुपये का एनपीए हो सकता है, साथ ही 30 लाख नौकरियां संकट में आ जाएंगी.
75000 करोड़ रुपये का कर्ज NPA में बदल सकता है
RAI ने कहा कि लगभग 80 फीसदी रिटेल स्टोर राज्यों के विभिन्न प्रतिबंधों के कारण बंद हैं. यदि रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार द्वारा कार्यशील पूंजी में आई चुनौतियों को कम करने के लिए आवश्यक उपाय नहीं किए गए हैं, तो लगभग 75,000 करोड़ रुपये का एनपीए हो सकता है.
RAI एक बयान में कहा है, “देश भर में खुदरा व्यापार सबसे खराब स्थिति में है. उद्योग को भारी वित्तीय संकट से बचने में मुश्किल हो रही है, जो व्यवसायों को पटरी से उतार सकता है.”
वित्त मंत्रालय को सौंपे गए पत्र में RAI ने सिफारिश की है कि मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक महामारी की दूसरी लहर के मद्देनजर खुदरा व्यवसायों पर बढ़ते तनाव से कुछ राहत प्रदान करें.
मंत्रालय से खुदरा कंपनियों को आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) 3.0 का लाभ देने के लिए कहा है. साथ ही कहा कि पात्र खुदरा व्यापार के लिए अतिरिक्त धन की सुविधा की उपलब्धता उनके पुनरुद्धार में योगदान देने, नौकरियों की रक्षा करने में बहुत लंबा रास्ता तय करेगी और रोजगार सृजन के लिए अनुकूल वातावरण भी बनेगा.
6 महीने के मोरेटोरियम की मांग
6 महीने के लिए moratorium पर मूलधन और ब्याज पर स्थगन की मांग करते हुए, RAI ने कहा कि खुदरा क्षेत्र “2,50,000 करोड़ रुपये के निवेश का प्रतिनिधित्व करता है. अगर भारतीय रिजर्व बैंक और भारत सरकार द्वारा कार्यशील पूंजी चुनौतियों को कम करने के लिए तत्काल उपाय नहीं किए जाते हैं, तो लगभग 75,000 करोड़ रुपये के लोन एनपीए में बदल सकते हैं.”
30 लाख नौकरियों पर खतरा
RAI ने कहा है, “यह रिटेल सेक्टर में लगभग 30 लाख नौकरियों को खतरे में डाल देगा. रिटेल पर निर्भर एसोसिएटेड सेक्टरों पर भी इसी तरह का असर पड़ेगा. अकेले टेक्सटाइल सेक्टर में, पूरे वैल्यू चेन में लगभग 1 करोड़ नौकरियां खतरे में हैं. इसके अलावा, यह उस इंजन को समाप्त कर देगा जो हमारी अर्थव्यवस्था के लिए खपत की वसूली को किक-स्टार्ट कर सकता है.”
RAI ने कहा है कि खुदरा उद्योग को अधिक ब्याज के बोझ से निपटने में मदद करने के लिए सभी ऋणों पर ब्याज दरों को 6 फीसदी की प्रभावी दर से कम किया जाना चाहिए.
कार्यशील पूंजी 30% बढ़ाने की मांग
आरएआई ने आरबीआई से बैंकों को खुदरा विक्रेताओं के लिए कार्यशील पूंजी की सीमा को 30 फीसदी तक बढ़ाने के लिए कहा है ताकि उन्हें वेतन और आपूर्तिकर्ताओं का भुगतान करने में मदद मिल सके.
वर्तमान में खुदरा उद्योग के समक्ष आई चुनौतियों पर टिप्पणी करते हुए आरएआई के सीईओ कुमार राजगोपालन ने कहा, अभी तक, लगभग 80 प्रतिशत खुदरा स्टोर राज्यों के विभिन्न प्रतिबंधों के कारण बंद हैं, और कुछ स्टोर जो खुले रहते हैं, उनमें फुटफॉल नहीं है. उन्होंने कहा कि उद्योग की नकदी की आमद में ठहराव आया है, जबकि परिचालन लागत स्थिर बनी हुई है. “शून्य राजस्व के साथ खुदरा विक्रेताओं को वेतन, बिजली और किराया जैसे खर्चे देने हैं. अगर सरकार द्वारा वित्तीय तनाव कम करने के लिए समय पर राहत पैकेज नहीं दिया जाता है, तो उद्योग को इस दूसरी लहर से बचना मुश्किल होगा.