Vaccine Supply: वैक्सीन की आपूर्ति पूरी करने के लिए 13 अप्रैल को सरकार ने फैसला लिया था कि अमेरिका, यूरोपीय संघ, WHO और जापान जैसे विदेशी दवा रेगुलेटरों से इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी पा चुकी वैक्सीन को भारत में फास्ट-ट्रैक मंजूरी दी जाएगी. लेकिन 42 दिन बाद भी अब तक ना फाइजर (Pfizer) उपलब्ध हो पाई है ना ही मॉडर्ना (Moderna). इन दोनों वैक्सीन को अमेरिकी दवा रेगुलेटर से मंजूरी मिली हुई है.
NEGVAC के दिए इस सिफारिश पर केंद्र सरकार ने मंजूरी देते हुए कहा था कि भारत में इस्तेमाल हो रही वैक्सीन को तेजी से मंजूरी मिल सकेगी. इसके तहत विदेश में हुई क्लिनिकल ट्रायल की जानकारी को इस्तेमाल किया जाएगा. जबकि अब तक देश के अंदर क्लिनिल ट्रायल कराना अनिवार्य था.
इन सब के बावजूद फाइजर और मॉडर्ना ने दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों से वैक्सीन सप्लाई की डील पर हामी नहीं भरी है. पंजाब के एक अधिकारी ने बताया है कि मॉडर्ना ने कंपनी का पॉलिसी का हवाला देते हुए कहा कि वे सिर्फ केंद्र सरकार के साथ ही डील करेंगे ना कि किसी राज्य या निजी कंपनी के साथ.
फाइजर ने भी राज्य सरकार को दी जानकारी में कहा है कि कंपनी सभी देशों में सिर्फ केंद्र सरकारों से ही कोविड-19 वैक्सीन के सप्लाई पर डील कर रही है. कंपनी ने कहा है, “इस समय हमारे सप्लाई एग्रीमेंट सिर्फ नेशनल सरकारों के साथ ही हो रहे हैं क्योंकि वैक्सीनेशन प्रोग्राम और वैक्सीन डोज के ऐलोकेशन के फैसले केंद्र सरकारों द्वारा ही लिए जा रहे हैं. हम विश्वभर में इसी नीति का पालन कर रहे हैं.”
वहीं उत्तराखंड सरकार के ग्लोबल टेंडर पर भी अब तक किसी कंपनी की ओर से जवाब नहीं आया है. सरकार ने इसकी सीमा बढ़ाकर 31 मई तक कर दी है.
इससे पहले दिल्ली सरकार को भी दोनों फार्मा कंपनियों ने वैक्सीन बेचने से मना किया और कहा कि वे केंद्र के साथ ही डील करेंगी.
एक ओर केंद्र सरकार ने राज्यों को वैक्सीन उत्पादकों से सीधे वैक्सीन खरीद की मंजूरी दे दी है लेकिन फाइजर और मॉडर्ना जैसी फार्मा कंपनियां केंद्र सरकार के साथ ही डील करना चाहती हैं.
केंद्र सरकार के साथ डील में फाइजर ने इन्डेमनिटी की बात की है. इन्डेमनिटी यानी किसी नुकसान या क्षति पर दिया जाने वाला हर्जाना.
फाइजर की केंद्र सरकार के साथ इसी क्लाॉज पर बात अटकी हुई है. फाइजर ने उनकी कोविड-19 रोधी वैक्सीन के भारत में इस्तेमाल को लेकर कानूनी सुरक्षा की मांग की है.
वहीं, भारत ने अब तक किसी कोविड-19 वैक्सीन उत्पादक को किसी गंभीर साइड-इफेक्ट के लिए हर्जाना देने से सुरक्षा देने वाले इन्डेमनिटी क्लॉज के लिए हामी नहीं दी है. जबकि, फाइजर ने कई अन्य देशों में सप्लाई से पहले इस क्लॉज पर मंजूरी हासिल की है जैसे ब्रिटेन और अमेरिका.
कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इस डील और कानूनी सुरक्षा पर बात हो रही है.
गौरतलब है कि फरवरी में फाइजर ने भारत के साथ डील ना हो पाने पर अपना आवेदन वापस ले लिया था. भारत ने अब तक फाइजर को वैक्सीन के लिए कोई ऑर्डर नहीं दिए हैं लेकिन अन्य कई देशों की ओर से मॉडर्ना और फाइजर दोनों को काफी बड़े ऑर्डर मिले हैं और इनकी आपूर्ती में भी काफी समय लगेगा.
कई अन्य देश जिन्होंने पहले से ऑर्डर दिए हुए हैं वे अब तक डिलिवरी का इंतजार कर रहे हैं.
सोमवार को स्वास्थ्य मंत्रालय के जॉइंट सेक्रेटरी ने कहा है कि फाइजर और मॉडर्ना दोनों की ऑर्डरबुक पूरी भरी हुई है. ये उनके सरप्लस पर निर्भर करता है कि वे भारत को कितनी वैक्सीन सप्लाई कर सकते हैं. वे इस जानकारी से साथ भारत सरकार के पास फिर आएंगे और तब ये सुनिश्चित किया जाएगा कि राज्य स्तर पर वैक्सीन की सप्लाई हो.
अमेरिका ने पिछले साल जुलाई में ही फाइजर को 10 करोड़ डोज का ऑर्डर दे दिया था और इसमें 50 करोड़ और वैक्सीन मंगवाने का विकल्प भी शामिल था. इस विकल्प के तहत US ने दिसंबर और फरवरी में 10-10 करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दिया. वहीं, यूरोपीय संघ को फाइजर 2.4 अरब वैक्सीन डोज सप्लाई करेगा.
मॉडर्ना की बात करें तो अगस्त 2020 में अमेरिका ने 10 करोड़ वैक्सीन डोज का ऑर्डर दिया था और इसमें भी 40 करोड़ और डोज मंगवाने का विकल्प शामिल था जिसके तहत दिसंबर और फरवरी में 10-10 करोड़ ऑर्डर दिए गए. वहीं पिछले साल यूरोपीय संघ ने नवंबर में मॉडर्ना को 8 करोड़ वैक्सीन डोज का ऑर्डर दिया था.