Oxygen की समस्या होगी दूर, पीएम मोदी ने उठाया ये बड़ा कदम

Oxygen: देश में सबसे ज्‍यादा डिमांड Oxygen की हो रही है. इस समस्‍या को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बड़ा फैसला लिया है.

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देश में इस समय सबसे ज्‍यादा डिमांड Oxygen की हो रही है. देश के कई अस्‍पतालों में ऑक्‍सीजन की कमी है. लेकिन अब ऑक्‍सीजन की कमी दूर होने वाली है. इस समस्‍या को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बड़ा फैसला लिया है. पीएम मोदी ने आज कहा कि PM CARES Fund की मदद से पूरे देश में 551 PSA मेडिकल ऑक्सिजन जेनरेशन प्लांट लगाए जाएंगे. ये प्लांट सार्वजनिक अस्पतालों में लगाए जाएंगे. पीएम मोदी ने कहा कि ये प्लांट जल्द से जल्द लगाएं जाएं. बता दें कि PM CARES Fund को लेकर लगातार विवाद होता रहा है.

Oxygen की समस्‍या हमेशा के लिए हो जाएगी खत्‍म

इन प्लांट्स के ऑपरेशनल हो जाने से जिला स्तर पर ऑक्सिजन की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी. भारत में कुल 718 जिला हैं. Ministry of Health and Family Welfare की जुलाई 2018 रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में 1003 जिला अस्पताल हैं. इस हिसाब से दो जिला अस्पताल पर एक ऑक्सिजन प्लांट होगा. इससे विकट परिस्थिति में भी ऑक्सिजन की उपलब्धता पर असर नहीं दिखाई देगा.

जिला अस्‍पतालों में लगाए जाएंगे Oxygen प्‍लांट

ये ऑक्सिजन प्लांट राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जिला अस्पतालों में लगाए जाएंगे. प्लांट लगाने के लिए इक्विपमेंट्स की खरीद स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) की तरफ से की जाएगी. इससे पहले भी इस फंड से 201.58 करोड़ रुपए की मदद से 162 डेडिकेटेड मेडिकल ऑक्सिजन प्लांट लगाए जा चुके हैं. ये प्लांट भी देश के सरकारी अस्पतालों में लगाए गए हैं.

क्या होता है PSA ऑक्सिजन प्लांट

दरअसल PSA प्लांट लिक्विड मेडिकल ऑक्सिजन बैक अप के लिए रखते हैं. PSA प्लांट 4 हफ्ते में तैयार होता है और एक हफ्ते में लग जाता है. इसकी कॉस्ट 40 से 50 लाख रुपए के करीब है. PSA PLANT (Pressure Swing Adsorption Oxygen plants) अधिकतर अस्पतालों में नहीं है. इस प्लांट की खासियत है कि ये गैस को गैस में ही कंवर्ट करता है और हवा से ऑक्सिजन लेकर सीधा अस्पतालों में पंप कर देता है. वहीं लिक्विड मेडिकल ऑक्सिजन (LMO) बड़े प्लांट में कूलिंग मेथड से बनते हैं. इसमें पहले गैस को लिक्विड में बदला जाता है. उसके बाद क्रायो टैंकर के जरिए अस्पतालों के टैंक में डाला जाता है.

Published - April 25, 2021, 03:21 IST