Lockdown का 1 साल: महामारी ने दी लाख टके की सीख, ऐसे बदली फाइनेंशियल प्लानिंग

One Year Of Lockdown: कोविड-19 ही नहीं, किसी भी और संकट के लिए आपकी तैयारी पक्की रहे इसके लिए इस साल फाइनेंशियल प्लानिंग को रिव्यू ऐसे करें

To fulfill your life goals, do some financial planning in this way

लाइफ के गोल सेट करना और फाइनेंशियल स्टेबिलिटी मेंटेन करना दो जरूरी बातें हैं.

लाइफ के गोल सेट करना और फाइनेंशियल स्टेबिलिटी मेंटेन करना दो जरूरी बातें हैं.

One Year of Lockdown: कोरोना संकट एक ऐसा ‘ब्लैक स्वान’ इवेंट साबित हुआ जिसने ना सिर्फ हेल्थ, फिटनेस और लाइफस्टाइल को बदल दिया बल्कि फाइनेंशियल प्लानिंग की बड़ी खामियों से भी रूबरू कराया है. ऐसे मंत्र जिन्हें एडवाइजर्स ने बार-बार प्लानिंग में शामिल करने की सलाह दी लेकिन इन्हीं की अनदेखी कोविड-19 की अनिश्चितता में भारी पड़ी. सैलरी कटने से लेकर नौकरी में छंटनी हो या परिवार के लिए हेल्थ कवरेज कम होना, इस महामारी ने पैसों की प्लानिंग को लेकर बड़ी सीख दी है.

फिनफिक्स (FinFix) की फाउंडर प्रबलीन बाजपेयी का कहना है, “कोविड-19 की रोकथाम के लिए लगाए लॉकडाउन (Lockdown) ने किसी भी अर्थिक तनावपूर्ण परिस्थिति के लिए हमारी अधूरी तैयारी को उभारा. इसमें हासिल सबसे बड़ी सीख ये थी कि 6 महीने से लेकर एक साल के खर्च के बराबर का इमरजेंसी फंड बनाना जिसमें EMI, प्रीमियम और निवेश की किस्तों का भी हिसाब लगाया गया हो.”

इमरजेंसी फंड

इमरजेंसी फंड वो रकम है जिसे आप कम समय में भी इस्तेमाल के लिए निकाल सकें. ये इमरजेंसी मेडिकल से लेकर फाइनेंशियल या कोई भी और दिक्कत हो सकती है. मनी मंत्रा (Money Mantra) के फाउंडर विरल भट्ट के मुताबिक इमरजेंसी फंड का मतलब ये नहीं कि इस रकम को आप कैश में जमा करते जाए या फिर सेविंग्स खाते में जोड़ते रहें. इमरजेंसी फंड का मतलब है ऐसे लिक्विड विकल्पों में निवेश जहां रिटर्न भी मिले और निकालने की सुविधा भी हो. वे इसके लिए लिक्विड म्यूचुअल फंड्स, शॉर्ट टर्म डेट फंड्स और रेकरिंग डिपॉजिट चुनने का सुझाव देते हैं. अगर आपके पास कैशफ्लो है तो सालाना आय के 2 से 3 गुना तक का इमरजेंसी फंड (Emergency Fund) बनाने का भी सुझाव है.

इस इरमजेंसी फंड में बच्चों की पढ़ाई का खर्च, हेल्थ से जुड़े बिल, घर की EMI या किराया भी शामिल करें ताकि नौकरी जाने पर या सैलरी घटने पर इसका खामियाजा आपकी लॉन्ग टर्म प्लानिंग को ना उठाना पड़े. लॉकडाउन (Lockdown) जैसे समय में ऐसे निवेश ही काम आए जिन्हें निकालने की सुविधा थी.

पर्याप्त हेल्थ कवरेज और रिस्क प्लानिंग

इंश्योरेंस के मोर्चे पर ये उनके लिए भी एक चेतावनी रही जो सिर्फ एंप्लॉयर से मिले हेल्थ कवरेज को काफी मानते हैं. कोविड-19 के दौर में नौकरी जाने का मतलब ना सिर्फ आर्थिक स्थिरता को झटका था बल्कि संक्रमण होने या बीमार पड़ने पर आपकी सेविंग्स पर दूसरी चोट. विरल इसे ही रिस्क प्लानिंग की सीख मानते हैं. उनके मुताबिक कोरोना के दौर में रिस्क प्लानिंग का मतलब है अपने परिवार के लिए जरूरत के मुताबिक हेल्थ कवरेज लेना और अपने लिए जीवन बीमा. कोविड-19 संक्रमण (Lockdown For COVID-19) के दौरान जिस तरह के हॉस्पिटल बिल देखने को मिले उससे लोगों को अपने हेल्थ कवरेज पर पुनर्विचार की जरूरत पड़ी है. उनका सुझाव है कि बढ़ते मेडिकल खर्च को ध्यान में रखते हुए साल 2021 में हेल्थ पॉलिसी में सम एश्योर्ड बढ़ाना चाहिए.

वहीं जीलव बीमा खरीदते वक्त लोगों को अपनी ह्यूमन लाइफ वैल्यू (HLV) के हिसाब से कवर लेना यानि जिम्मेदारियों और भविष्य के खर्चों, कर्ज और निवेश का आकलन करना.

ऐसेटे एलोकेशन और SIP जारी रखना

जिन्होंने निवेश किया है उन्हें लॉकडाउन वाले साल ने सभी ऐसेट में बड़े उतार-चढ़ाव दिखाए – चाहे इक्विटी निवेश हो, गोल्ड या डेट कैटेगरी. सभी जगह उथल-पुथल रही. पिछले साल लगे 21 दिन के पहले लॉकडाउन (Lockdown) में शेयर बाजार में लाखों-करोड़ों का नुकसान हुआ. हालांकि बाद के महीनों में रिकवरी भी आई. सोना-चांदी की कीमतों में भी तेज उछाल दर्ज हुआ. गिरावट रही हो या मजबूती, दोनों अचानक और तेजी के साथ हुई. विरल के मुताबिक बॉन्ड मार्केट से भी इस साल 14 अरब डॉलर का आउटफ्लो हुआ है. उनका कहना है कि इससे निवेशकों को ये मालूम हुआ कि इन्वेस्टमेंट में डायवर्सिफिकेशन कितना जरूरी है. डायवर्सिफिकेशन का मतलब है अपनी सारी जमा पूंजी को एक ही एसेट क्लास में निवेश ना करना. उसे इक्विटी, गोल्ड, डेट, या प्रॉपर्टी में अपनी जोखिम क्षमता और लक्ष्य के हिसाब से निवेश करना.

प्रबलीन मानती हैं कि इस दौर में निवेश बनाए रखने और SIP जारी रखने की भी सीख मिली. बाजार की गिरावट में भी जिन्होंने निवेश जारी रखा उन्हें रिकवरी का फायदा भी मिला. जिन्होंने बाजार में घाटा देखते हुए पैसे निकाल लिए उन्हें दोबारा ऊंचे भाव पर निवेश करना पड़ा. उनका कहना है कि कर्ज जितना कम हो उतना बेहतर – ये सीख भी इस महामारी के दौर ने सिखाई है.

कोरोना का कहर जारी है और दूसरी लकर को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. सिर्फ कोविड-19 ही नहीं, इसके जैसे किसी भी और संकट के लिए आपकी तैयारी पक्की रहे इसके लिए इस साल फाइनेंशियल प्लानिंग को रिव्यू करने की जरूरत है.

Published - March 24, 2021, 02:06 IST