नोवावैक्स की कोरोना वैक्सीन की कारगर क्षमता 90% के पार, तीसरे चरण के ट्रायल का डेटा जारी

Novavax: शोध में US और मेक्सिको के 18 वर्ष के ऊपर के लगभग 30,000 लोग शामिल थे. इसमें से दो तिहाई को तीन हफ्तों के अंतराल पर वैक्सीन की दो डोज दी गई

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Picture: Novavax

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अमेरिकी बायोटेक्नोलॉजी कंपनी नोवावैक्स (Novavax) ने सोमवार को ऐलान किया है कि उनकी बनाई कोविड-19 वैक्सीन (COVID-19 Vaccine) ने अमेरिका और मेक्सिको में हुए क्लिनिकल ट्रायल में बड़ी सफलता हासिल की है और वायरस के वेरिएंट्स पर भी असरदार साबित हुई है. कंपनी ने एक बयान में कहा है कि उनकी वैक्सीन 90 फीसदी असरदार साबित हुई है और शुरुआती डाटा के मुताबिक सुरक्षित भी है.

तीसरी लहर के खतरे के बीच वैक्सीन की डिमांड काफी है. अमेरिका में अब तक 18 वर्ष से ऊपर की 54.1 फीसदी आबादी को कोविड-19 वैक्सीन की दोनों डोज दी जा चुकी है. लेकिन भारत जैसे कई अन्य देशों में अब भी टीकों की मांग काफी है.

नोवावैक्स (Novavax) ने कहा है कि वे सितंबर अंत तक अमेरिका, यूरोप और अन्य देशों में मंजूरी के लिए अर्जी देंगे और तब तक लगभग 10 करोड़ डोज हर महीने उत्पादन कर सकेंगे.

नोवावैक्स ने कहा है कि क्लिनिकल ट्रायल में वैक्सीन कारगर क्षमता 90 फीसदी पाई गई है. जबकि, तीसरे चरण के ट्रायल में वैक्सीन मध्यम से गंभीर संक्रमण रोकने में 100 फीसदी सफल हुई है.

ऐसे किया गया शोध

नोवावैक्स (Novavax) के शोध में अमेरिका और मैक्सिको के 18 वर्ष के ऊपर के लगभग 30,000 लोग शामिल थे. इसमें से दो तिहाई लोगों को तीन हफ्तों के अंतराल पर वैक्सीन की दो डोज दी गई. बाकी लोगों को नकली शॉट लगाए गए. ट्रायल में कुल 77 लोगों को कोविड-19 संक्रमण हुआ – जीन लोगों को वैक्सीन दी गई उनमें से सिर्फ 14 को और बाकी उन्हें जिन्हें नकली शॉट लगाए गए थे. वैक्सीन पाने वालों में से किसी को भी मध्यम या गंभीर संक्रमण नहीं हुआ – जिन 14 लोगों को संक्रमण हुआ वे प्लेसेबे ग्रुप में थे.

वहीं ये वैक्सीन उन वेरिएंट्स पर भा कारगर पाई गई जो सबसे पहले युनाइटेड किंग्डम में पाए गए थे. वैक्सीन ने ज्यादा रिस्क वाले लोगों जैसे बुजुर्गों और गंभीर बीमारी वाले लोगों में भी सफलता दिखाई है.

वैक्सीन से जुड़े साइड इफेक्ट बेहद मामलू हैं – जैसे सुई लगने की जगह पर हल्का दर्द. किसी में भी ब्लड क्लॉटिंग या हृदय से जुड़ी दिक्कत की शिकायत नहीं रही.

इस वैक्सीन को सामान्य रेफ्रिजरेटर में भी स्टोर किया जा सकता है जिससे इसका डिस्ट्रिब्यूशन आसान हो जाता है.  कंपनी को इस प्रोजेक्ट के लिए अमेरिकी सरकार से भी फंडिंग मिली है. अमेरिका को कंपनी अगले एक साल में इस वैक्सीन के 11 करोड़ डोज देगी तो वहीं विकासशील देशों को 1.1 अरब वैक्सीन डोज भेजी जाएगी.

भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने नोवावैक्स की वैक्सीन के लिए भी करार किया है.

Published - June 14, 2021, 04:50 IST