भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर ज्यादा भयानक साबित हो रही है और इसने देश के पूरे हेल्थकेयर सिस्टम को धराशायी कर दिया है. महाराष्ट्र कोविड-19 से मची तबाही में सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, ऐसे में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 13 अप्रैल 2021 को राज्य में मिनी लॉकडाउन लगाने का ऐलान किया था. ये लॉकडाउन 15 दिन के लिए लगाया गया है जो कि 14 अप्रैल को रात 8 बजे से शुरू हो गया था.
लगातार सख्त होती पाबंदियां
हालात और खराब होते देख 20 अप्रैल को महाराष्ट्र सरकार ने पाबंदियों को और सख्त कर दिया है और ग्रोसरी और खाने-पीने की दुकानों को 1 मई तक केवल सुबह 7 बजे से 11 बजे तक ही खुले रखने का आदेश दिया है. हालांकि, इन दुकानों से होम डिलीवरी को सुबह 7 बजे से लेकर रात के 8 बजे तक इजाजत होगी.
21 अप्रैल को महाराष्ट्र सरकार ने दफ्तरों में उपस्थिति को 15 फीसदी पर सीमित कर दिया है और इसके साथ ही ट्रैवल पर भी कई तरह की पाबंदियां लगा दी हैं.
40,000 करोड़ रुपये का नुकसान
पाबंदियों में लगातार सख्ती किए जाने के चलते देश के सबसे अमीर राज्य महाराष्ट्र में 5 अप्रैल से करीब 40,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अंदाजा लगाया जा रहा है. मुंबई की केयर रेटिंग्स ने इस बात का जिक्र किया है.
40,000 करोड़ रुपये के नुकसान का ये अनुमान केवल एक महीने के लॉकडाउन पर आधारित है. अगर इस लॉकडाउन को और बढ़ाया जाता है तो राज्य को और तगड़े नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
ओवरऑल इकनॉमी को लगेगा झटका
केयर रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में कहा है, “महाराष्ट्र के उत्पादन में 40,000 करोड़ रुपये के इस नुकसान से ओवरऑल घरेलू इकनॉमी के ग्रॉस वैल्यू एडेड (जीवीए) में 0.32 फीसदी की गिरावट आएगी. 2021-22 में देश की अनुमानित 137.8 लाख रुपये की जीवीए में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी करीब 20.7 लाख करोड़ रुपये होगी. लॉकडाउन की वजह से अब इसमें 2 फीसदी की गिरावट आ जाएगी.”
ट्रेड, होटल इंडस्ट्री को 15,772 करोड़ रुपये का लॉस
सेक्टर के आधार पर देखा जाए तो महाराष्ट्र में ट्रेड, होटल्स, ट्रांसपोर्ट और स्टोरेज में संभावित जीवीए लॉस करीब 15,772 करोड़ रुपये का होने की आशंका है. इसके अलावा, फाइनेंशियल सर्विसेज, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सर्विसेज को इस दौरान 9,885 करोड़ रुपये का झटका लग सकता है. दूसरी ओर, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, डिफेंस और दूसरी सेवाओं को 8,192 करोड़ रुपये का लॉस हो सकता है.
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को 2,931 करोड़ रुपये का संभावित नुकसान होगा. दूसरी ओर, कंस्ट्रक्शन सेक्टर को 2,584 करोड़ रुपये का लॉस होने की आशंका है.