कोविड के चलते अनाथ हुए बच्चों के लिए गुजरात सरकार का बड़ा ऐलान, जानिए राज्य में पहले से चल रही एक और योजना के बारे में

गुजरात की विजय रूपाणी सरकार ने कोविड की वजह से अनाथ हुए को हर महीने 4,000 रुपये 18 साल की उम्र तक देने का फैसला किया है.

Gujarat CM VIjay Rupani Resigns ahead of Assembly Election

रूपाणी ने विधानसभा चुनाव से 15 महीने पहले यह बड़ा फैसला लिया है.

रूपाणी ने विधानसभा चुनाव से 15 महीने पहले यह बड़ा फैसला लिया है.

कोविड की दूसरी लहर से भयावह हालात बने हुए हैं. इसके चलते कई बच्चों ने अपने मां और बाप दोनों को खो दिया है. ऐसे बच्चों की मदद के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक कदम उठा रही हैं.

गुजरात सरकार ने ऐसे ही बेसहारा बच्चों को हर महीने 4,000 रुपये 18 साल की उम्र तक देने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कैबिनेट की मीटिंग में ये महत्वपूर्ण निर्णय लिया है.

हालांकि, गुजरात सरकार की एक योजना पहले से चल रही है जिसमें अनाथ बच्चों के अभिभावक (गार्जियन) को हर महीने 3,000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है. आइए हम आपको गुजरात सरकार की इस योजना के बारे में जानकारी देते हैं.

पालक माता-पिता योजना

इस योजना को 2016 में लागू किया गया था. इस योजना के तहत गुजरात में 18 वर्ष तक की आयु के सभी अनाथ बच्चे, लाभ के हकदार होंगे.

ऐसे बच्चे जिनके पिता की मृत्यु हो चुकी है और मां पुनर्विवाह करती है, उन्हें मां के पुनर्विवाह का विवाह प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा.

योजना के तहत पालक (संरक्षक) माता-पिता या करीबी रिश्तेदारों, जो अनाथ बच्चों की देखभाल कर रहे हैं, उन्हें 3,000 रुपये की मासिक सहायता राशि दी जाती है.

इस योजना के तहत पालक माता-पिता की वार्षिक आय ग्राम्य विस्तार में 27,000 रुपये से अधिक और शहरी विस्तार में 36,000 रुपये से अधिक होनी चाहिए.

योजना की शर्तें

इस योजना में बच्चे के माता-पिता की मृत्यु का सर्टिफिकेट अनिवार्य है. यदि बच्चे की मां का पुनर्विवाह होता है और बच्चा मां के साथ रहता है, तो सहायता रोक दी जाएगी.

इस योजना की जानकारी https://sje.gujarat.gov.in/dsd/ से या नजदीकी बाल गृह / जिला सामाजिक सुरक्षा अधिकारी कार्यालय / जिला बाल संरक्षण अधिकारी कार्यालय से मिलती है और फॉर्म ऑनलाइ डाउनलोड भी कर सकते हैं.

आवेदन के अनुमोदन पर सहायता उपलब्ध होगी. एक बार सहायता मंजूर हो जाने के बाद अनिवार्य स्कूली शिक्षा आंगनवाड़ी से देनी पड़ती है और स्कूल प्रिंसिपल का प्रमाण पत्र हर साल जमा करना होता है. पालक माता-पिता को आंगनवाड़ी में 3 से 6 वर्ष के बीच के बच्चों को रखना होगा और 6 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को अनिवार्य स्कूली शिक्षा प्रदान करना होगा.

यदि बच्चे के अध्ययन को रोक दिया जाता है, तो सहायता नहीं मिलेगी. इस योजना में भुगतान की जिम्मेदारी जिला सामाजिक सुरक्षा अधिकारी के पास होगी. जो बच्चे उसी राज्य या केंद्र की किसी अन्य योजना का लाभ उठा रहे हैं, वे इस योजना के लिए पात्र नहीं होंगे.

इस राशि का भुगतान बच्चे के खाते में प्रत्यक्ष भुगतान (डीबीटी) द्वारा या चेक से किया जाएगा. इसके लिए अभिभावक का बच्चे के साथ बैंक में जॉइंट अकाउंट होना जरूरी है.

इन दस्तावेजों की जरूरत होगी

बच्चे की जन्म तिथि, आधार कार्ड, दो पासपोर्ट साइज की फोटो

पालक माता-पिता के साथ बच्चे की तस्वीर

अभिभावक के आय का प्रमाणपत्र

माता और पिता का मृत्यु सर्टिफिकेट

बच्चे की बैंक पासबुक की नकल

बच्चे स्कूली शिक्षा का प्रमाणपत्र

पालक माता या पालक पिता का आधार कार्ड, इलेक्शन कार्ड, राशन कार्ड

Published - May 16, 2021, 03:02 IST