COVID-19 Medicine: कोरोना के इस मुश्कल दौर में एक उम्मीद की खबर है. दवाओं के इस्तेमाल को मंजूरी देने वाले ड्रग रेगुलेटर ने 2-डेक्सो-डी-ग्लूकोज (2-DG) को कोरोना मरीजों के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है. इस दवा को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट ऑर्गेनाइजेशन ने फार्मा कंपनी डॉ रेड्डीज लैब के साख मिलकर तैयार किया है.
रक्षा मंत्रालय की दी जानकारी के मुताबिक 1 मई को DCGI ने इसे दवा को मध्यम से गंभीर लक्षण वाले मरीजों के लिए इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है.
मंत्रालय के मुताबिक जेनरिक मॉलिक्यूल होने की वजह से और ग्लूकोज का ही एनालॉग होने की वजह से ये दवा देश में पर्याप्त मात्रा में बनाई जा सकती है.
इस दवा को DRDO के लैब इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेस (INMAS) में तैयार किया गया है और पिछले एक साल से दवा अलग-अलग चरण के क्लिनिकल ट्रायल से होकर गुजरी है.
जानकारी में बताया गया है कि 2-DG ज्यादा तेजी से लक्षणों पर असर करती है. अब तक के स्टैंडर्ड ऑफ केयर के मुकाबले 2-DG दिए जाने पर मरीज 2.5 दिन पहले ही सामान्य वायटल पैरामीटर पर आए.
2-DG के इस्तेमाल से अस्पताल में भर्ती हुए कोरोना मरीजों की रिकवरी में तेजी आई है और ऑक्सीजन पर उनकी निर्भरता भी घटी है. जिन मरीजों को ये दवा दी गई उनका RT-PCR टेस्ट नेगेटिव आया है. सरकार ने अपने बयान में कहा है कि ये दवा कोरोना संक्रमण के मरीजों के लिए बड़ी राहत देगा.
2-DG दवा दिए जाने पर तीसरे दिन तक 42 फीसदी मरीजों को अलग से ऑक्सीजन देने की जरूरत नहीं रही जबकि SoC में ये सिर्फ 31 फीसदी रहा है. ये दर्शाता है कि 2-DG मरीजों को ज्यादा जल्दी राहत देता है और अलग से ऑक्सीजन देने पर निर्भरता कम करता है.
65 वर्ष के ऊपर के मरीजों में भी इसी तरह के ट्रेंड देखने को मिले हैं.
मंत्रालय की दी जानकारी के मुताबिक दवा सैशे में पाउडर के रूप में मिलती है जिसे खाया जा सकता है या पानी में घोल कर लिया जा सकता है.
दवा वायरस से प्रभावित सेल में जमाकर होकर वायरस के ग्रोथ को रोकती है. ये सिर्फ वायरस के प्रभावित सेल को ही असर करती है.
DRDO ने ठीक एक साल पहले अप्रैल 2020 में इस दवा पर काम शुरू कर दिया था. महामारी की पहली लहर के दौरान की INMAS-DRDO के वैज्ञानिकों ने सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) के साथ मिलकर लैब एक्सपेरिमेंट शुरू कर दिए थे.
एक्सपेरिमेंट में पाया गया कि 2-DG दवा वायरस के ग्रोथ को रोकने में कामयाब है. इसके आधार पर DCGI और CDSCO ने मई 2020 में इस दवा के दूसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल को मंजूरी दे दी थी.
डॉ रेड्डीज लैब के साथ अक्टूबर 2020 तक किए गए दूसरे चरण के ट्रायल में दवा सुरक्षित और रिकवरी में कारगर पाई गई. फेज-IIa को 6 अस्पतालों में किया गया था जबकि फेज IIb को 11 अस्पतालों में ट्रायल किया गया. दूसरे चरण के तहत 110 मरीजों पर दवा को आजमाया गया है.
नवंबर 2020 से दवा के तीसरे चरण का ट्रायल शुरू हुआ और 220 मरीजों में दिसंबर 2020 से मार्च 2021 के बीच ट्रायल किया गया. इसमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटर और तमिल नाडु के 27 अस्पताल शामिल हैं.