भारत के दवा नियामक डीसीजीआई (DCGI) ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका (Oxford-AstraZeneca) के कोविड-19 टीके कोविशील्ड (Covishield) के उपयोग की अवधि उसके निर्माण की तारीख से छह महीने से बढ़ाकर नौ महीने तक कर दी है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) को लिखे एक पत्र में भारत के दवा महानियंत्रक वी जी सोमानी ने कहा कि SII को ऐसे वायल जिनमें अभी लेबल नहीं लगाए गए हैं, उनमें उपयोग की अवधि नौ महीने डालने की मंजूरी दी जाती है.
डीसीजीआई (DCGI) ने कहा कि उन्हें ‘कोविशील्ड टीके (Covishield) (10 खुराक- पांच मिलीलीटर) के उपयोग की अवधि छह महीने से बढ़ाकर नौ महीने करने में कोई आपत्ति नहीं है.
सोमानी ने पत्र में कहा, ‘‘आपको ऐसे वायल जिनमें अभी लेबल नहीं लगाए गए हैं, उनमें उपयोग की अवधि नौ महीने डालने की मंजूरी दी जाती है, साथ ही ऐसे आपको भंडार की जानकारी इस कार्यालय और सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेटरी, कसौली को भेजनी होगी.’’
वैक्सीन की एक्सपायरी डेट लंबी होने से इनकी बर्बादी नहीं होगी और ज्यादा लोगों तक कोरोना वैक्सीन मुहैया कराई जा सकेगी. इसके साथ ही प्रोडक्शन पर दबाव भी घटेगा. 1 अप्रैल से ज्यादा से ज्यादा वैक्सीन की जरूरत पड़ेगी और ऐसे में वैक्सीन के जल्दी एक्सपायर होने से ज्यादा प्रोडक्शन करना होता.
17 मार्च को राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वर्चुअल बैठक में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैक्सीन की एक्सपायरी और बर्बादी को लेकर चर्चा की थी. वैक्सीन (Covishield) की एक्सपायरी डेट (Vaccine Expiry Date) की खबरों पर PM मोदी ने मुख्यमंत्रियों से बात में कहा, “वैक्सीन की बर्बादी जितनी रुके उतना बेहतर, वैक्सीन वेस्टेज नहीं होने देंगे. जो बैच पहले आया उसका पहले इस्तेमाल हो, जो बाद में आया उसका बाद में ताकि जहां संभव हो वहां वैक्सीन वेस्टेज ना हो.”
ठीक इस बैठक के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने वैक्सीन वेस्टेज पर आंकड़े जारी किए थे. 18 मार्च तक की जानकारी के मुताबिक भारत में कोविड-19 वैक्सीन की 6.5 फीसदी वैक्सीन बर्बाद (Vaccine Wastage) हो रही हैं. तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा वैक्सीन की बर्बादी हो रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय के जारी किए आंकड़ों के मुताबिक तेलंगाना में 17.6 फीसदी वैक्सीन बर्बाद हो रही है और आंध्र प्रदेश में ये आंकड़ा 11.6 फीसदी है. मंत्रालय ने कहा है कि राज्यों को वैक्सीन वेस्टेज घटाने के लिए निर्देश दिए गए हैं.
(PTI इनपुट के साथ)