अप्रैल 2020 से ही शुरू इस मुश्किल वक्त में आम आदमी को राहत देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. इस साल मई महीने की शुरुआत में जब देश कोरोना वायरस की दूसरी लहर से जूझ रहा था तब रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने 50,000 करोड़ रुपये के स्पेशल लिक्विडिटी पूल का ऐलान किया था जिससे हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और आम आदमी को इलाज पाने में मदद मिल सके.
रिजर्व बैंक के ऐलान के बाद से नौ सरकारी बैंकों ने कोविड-19 के इलाज के लिए पर्सनल लोन की शुरुआत की है. अब तक प्राइवेट बैंकों ने इस लोन से दूरी बनाई है.
भले ही ये कर्ज पर्सनल लोन की कैटेगरी में आते हैं, लेकिन ये खास हैं क्योंकि ये कोविड-19 के इलाज के लिए हैं. ये लोन खास तौर पर राहत के लिए डिजाइन किए गए हैं, इनपर ब्याज दर भी सामान्य पर्सनल लोन से कम है. इस लोन पर बैंक ऑफ इंडिया 6.85 फीसदी का ब्याज दर ले रहा है तो वहीं इंडियन बैंक 9.5 फीसदी का रेट. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक 8.5 फीसदी की दर से ब्याज वसूलेंगे.
सामान्य पर्सनल लोन के मुकाबले ये लोन ज्यादा सस्ते हैं. आम पर्सनल लोन पर 10 फीसदी से ज्यादा का ही ब्याज दर लगता है. ज्यादातर सरकारी बैंकों ने कोविड-19 के इलाज के लिए इस खास पर्सनल लोन पर से प्रोसेसिंग फीस भी हटा दी है.
अगर दिग्गज प्राइवेट बैंक भी ये लोन मुहैया कराएं तो और बेहतर होगा. मुश्किल वक्त में अगर निजी बैंक आगे बढ़कर भागीदारी नहीं दिखाते तो ये सही संकेत नहीं देगा. वित्त वर्ष 2020 के मुकाबले दिग्गज प्राइवेट सेक्टर बैंकों का वित्त वर्ष 2021 में मुनाफा बढ़ा है. देश अब भी दूसरी लहर से जूझ रहा है और तीसरी लहर की भी आशंका है. अगर मुश्किल वक्त में बैंकों ने ग्राहकों से मुनाफा कमाया है तो उन्हें कुछ राहत भी मिलनी चाहिए.