Economic Recovery: दिन-ब-दिन गहराते कोरोना संकट की वजह से भारत की आर्थिक रिकवरी पर असर पड़ सकता है. रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांता दास ने आज की क्रेडिट पॉलिसी ऐलान के वक्त साफ कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर से आर्थिक रिकवरी को लेकर अनिश्चितता बनी है. कोरोना से चोट खाई इकोनॉमी के लिए कोरोना मामलों का दोबारा बढ़ना चिंता की बात जरूर है लेकिन आर्थिक मामलों के एक्सपर्ट मानते हैं कि फिलहाल अर्थव्यवस्था पर इसके असर पर नजर रखनी होगी. भारत में दूसरी बार एक दिन में 1 लाख से ज्यादा कोरोना संक्रमित पाए गए हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के बजट में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान वित्तीय घाटा जीडीपी (GDP) का 6.8 फीसदी रहने का अनुमान दिया था. जबकि पिछले वित्त वर्ष में ये 9.5 फीसदी रहा है. इसकी भरपाई के लिए भारत को तेजी से ग्रोथ हासिल करनी होगी.
बढ़ते कोरोना मामलों के बावजूद RBI ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 10.5 फीसदी जीडीपी (GDP) ग्रोथ रहने का अनुमान बरकरार रखा है. इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने इस वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी ग्रोथ 12.5 फीसदी रहने का अनुमान दिया है. IMF ने कहा कि 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था में रिकार्ड 8 प्रतिशत की गिरावट आयी. लेकिन इस साल वृद्धि दर 12.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो काफी बेहतर है.
ICRA की प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट अदिती नायर का कहना है, “हमारा अनुमान है कि GDP और GVA में 10-11 फीसदी की दर से बढ़त हो सकती है. कोविड-19 के बढ़ते मामलों और स्थानीय इलाकों में दोबारा लॉकडाउन से छोटी अवधि के लिए ग्रोथ आउटलुक में अनिश्चितता जरूर है. इस तिमाही में डिमांड में अस्थायी सुस्ती की संभावना जरूर है. हम अभी अनुमान में कोई बदलाव नहीं कर रहे हैं, हम बढ़ते कोविड-19 मामलों के असर पर नजर बनाए हुए हैं.
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा है कि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने पर जोर देना होगा ताकि आर्थिक रिकवरी (Economic Recovery) की रफ्तार जारी रहे. उन्होंने कहा है कि बढ़ते कोविड-19 संक्रमण से आर्थिक रिकवरी और ग्रोथ के लिए अनिश्चितता बनी है. हालांकि उन्होंने ये भी साफ किया कि कोरोना संकट के बावजूद ग्रोथ में रिकवरी जारी है. हालांकि स्थिति सामान्य तक पहुंचने में और समय लग सकता है.
MPC के मुताबिक इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में महंगाई बढ़कर 5.2 फीसदी रहने का अनुमान है. वहीं रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही .यानि जनवरी-मार्च के लिए रिटेल महंगाई का अनुमान संशोधित करके 5 फीसदी कर दिया है. जबकि वित्त वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही में महंगाई घटकर 4.4 फीसदी रहने का अनुमान दिया है.