कोरोना महामारी (Covid) की दूसरी लहर ने बच्चों को भी अपनी चपेट में लिया है. बच्चों पर वायरस (Covid) का प्रभाव और उनके लक्षण को पहचानना बहुत जरूरी है. साथ ही उन्हें मनोवैज्ञानिक तरीके से ठीक करने में मदद करनी है. इसी उद्देश्य से ‘संवेदना’ कार्यक्रम के जरिए, प्रभावित बच्चों को टेली-परामर्श की सुविधा प्रदान की जा रही है, जहां केवल कोविड पॉजिटिव (Covid) बच्चों को ही नहीं, बल्कि अपनों को खो चुके बच्चों की भी टेली-परामर्श सेवा के जरिए विशेषज्ञ मदद करते हैं.
दरअसल, कोविड-19 महामारी (Covid) के दौरान प्रभावित बच्चों को मनोवैज्ञानिक प्राथमिक चिकित्सा और भावनात्मक समर्थन प्रदान करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर), संवेदना (सेंसिटाइजिंग एक्शन ऑन मेंटल हेल्थ वल्नरबिलिटी थ्रू इमोशनल डेवलपमेंट एंड नेससरी एक्सेप्टेंस) के माध्यम से बच्चों को टेली-परामर्श की सुविधा प्रदान कर रहा है.
इस टोल-फ्री हेल्पलाइन की शुरुआत कोविड-19 महामारी से प्रभावित बच्चों को मनो-सामाजिक मानसिक सहायता प्रदान करने के लिए की गई है. कोविड-19 से जुड़े विभिन्न मनो-सामाजिक पहलुओं पर बाल एवं किशोर मनोचिकित्सा विभाग के डॉ. शेखर शेषाद्री और निम्हंस की उनकी टीम के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित योग्य विशेषज्ञों, परामर्शदाताओं, मनोवैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा टेली-परामर्श की विभिन्न रणनीतियों का उपयोग करते हुए टेली-परामर्श की सुविधा प्रदान की जा रही है.
संवेदना टेली-परामर्श सेवा खास तौर पर महामारी के दौरान बच्चों के तनाव, चिंता, भय और अन्य समस्याओं को दूर कर उनको मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के लिए है. यह सेवा टोल-फ्री नंबर 1800-121-2830 पर सोमवार से शनिवार सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक और दोपहर 3 बजे से शाम 8 बजे तक उपलब्ध है. यह सेवा विशेष रूप से उन बच्चों के लिए हैं जो बात करना चाहते हैं और जिन्हें परामर्श की जरूरत है. जब कोई बच्चा, देखभाल करने वाला या माता-पिता संवेदना 1800-121-2830 पर संपर्क करते हैं तो उन्हें सुरक्षित माहौल में उनकी बात एक पेशेवर परामर्शदाता से कराई जाती है.
1. जो बच्चे क्वारंटीन/आइसोलेशन/कोविड केयर सेंटर में हैं
2. जिन बच्चों के माता-पिता या परिवार के सदस्य या अन्य कोई करीबी जो कोविड पॉजिटिव है
3. जिन बच्चों ने कोविड-19 महामारी की वजह से अपने माता-पिता को खो दिया है
यह टोल-फ्री टेली-परामर्श सुविधा देशभर के बच्चों को तमिल, तेलुगू, कन्नड़, उड़िया, मराठी, गुजराती, बंगाली आदि जैसी विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में सहायता प्रदान करती है. इस सेवा की शुरुआत सितंबर 2020 में की गई थी और इसके द्वारा कोविड-19 महामारी (Covid) के कठिन समय में बच्चों को सहायता देना जारी है.